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'दुर्भाग्य है कि ओबामा कार्यकाल में भारत नहीं बन सका एनएसजी सदस्‍य'

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वाशिंगटन , सोमवार, 9 जनवरी 2017 (08:44 IST)
ओबामा प्रशासन के दौर में पिछले आठ साल में भारत और अमेरिका का आतंकवाद निरोधी सहयोग बेहद सफल रहा और इस दौरान बहुत सी आतंकी साजिशों को अंजाम दिए जाने से पूर्व विफल कर दिया गया, लेकिन अमेरिका भारत को एनएसजी सदस्य बनाने में नाकाम रहा इसके लिए अमेरिका ने अफसोस जताया। 
भारत अमेरिकी साझेदारी के चलते बहुत से निर्दोष भारतीय और अमेरिकी लोगों की जान बचाई जा सकी। यह बात दक्षिण एशिया मामलों के राष्ट्रपति बराक ओबामा के सलाहकार पीटर लेवॉय ने कही है। उन्होंने भारत के साथ संबंधों की गर्मजोशी को ओबामा प्रशासन की उपलब्धि बताया। कहा, इससे दोनों देशों को फायदा मिला।
 
लेवॉय ने कहा, आतंकवाद निरोधी अभियान की यह महत्वपूर्ण प्रगति है। दोनों देशों ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में नई ऊंचाइयों को छुआ है और इसे जारी रहना चाहिए। लेवॉय ने कहा, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय अल कायदा हमारे लिए चिंता का विषय बना हुआ है। आतंकी संगठन आइएस भी अमेरिका के लिए बड़ी चिंता बना हुआ है। दोनों संगठनों के खिलाफ हम कार्रवाई जारी रखे हुए हैं। 
 
भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य न बन पाने पर लेवॉय ने कहा कि दुर्भाग्य से यह कार्य राष्ट्रपति ओबामा के कार्यकाल में नहीं हो सका। लेकिन वह दिन दूर नहीं जब भारत इस प्रतिष्ठित समूह का सदस्य होगा। इसके लिए कार्य जारी है। भारत के एनएसजी का सदस्य न बन पाने से अमेरिका को धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि भारत में वह गुणवत्ता है जिससे उसे निश्चित रूप से इस समूह का सदस्य बनना चाहिए। हम मानते हैं कि परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत न करने वाले देशों को एनएसजी में शामिल किए जाने की संभावना बननी चाहिए।
 
उल्लेखनीय है कि भारत ने अभी तक परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं और चीन इसी का बहाना लेकर एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध कर रहा है।

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