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भारतीय जवानों के 'सीमा पार' करने से चीन खफा

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, मंगलवार, 27 जून 2017 (21:05 IST)
बीजिंग। चीन ने आज भारत के समक्ष सिक्किम क्षेत्र में भारतीय जवानों द्वारा कथित रूप से सीमा पार करने पर विरोध दर्ज कराया और उन्हें तुरंत वापस बुलाने की मांग की। बीजिंग ने चेताया कि भविष्य में कैलाश मानसरोवर की भारतीय श्रद्धालुओं की यात्रा इस गतिरोध के समाधान पर निर्भर करेगी।
 
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा, अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता को बुलंद रखने को लेकर हमारा रूख दृढ़ है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत इसी दिशा में चीन के साथ काम कर सकता है तथा अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाए जो आगे चले गए हैं और चीनी सीमा में घुस गए हैं।  
 
उन्होंने कहा हमने अपने महत्वपूर्ण रुख के बारे में बताने के लिए बीजिंग और नयी दिल्ली में गंभीर विरोध दर्ज कराया है।  तिब्बत में घुसने की चीन द्वारा अनुमति नहीं देने के बाद गंगटोक वापस लौटने वाले कैलाश मानसरोवर जा रहे श्रद्धालुओं के भविष्य के बारे में लु कांग ने कहा कि सुरक्षा कारणों से उनकी यात्रा रद्द कर दी गई।
 
उन्होंने श्रद्धालुओं की भविष्य की यात्रा को क्षेत्र से भारत द्वारा जवानों को हटाने से जोड़ा। लु ने कहा कि जहां तक सिक्किम क्षेत्र में नाथू ला दर्रे से होकर भारतीय श्रद्धालुओं की यात्रा का सवाल है तो मुझे लगता है कि भारतीय पक्ष इसे लेकर बहुत स्पष्ट है। लंबे वक्त से चीन की सरकार ने भारतीय श्रद्धालुओं को जरूरी सुविधाएं देने के लिए बहुत प्रयास किए हैं।
 
उन्होंने कहा कि लेकिन हाल में भारतीय सीमा पर तैनात जवानों ने चीन की सीमा पार करके हमारा निर्माण कार्य बाधित किया,  हमने जरूरी कार्रवाई की है।सुरक्षा कारणों से हमें चीनी दर्रे से होकर भारतीय श्रद्धालुओं की तीर्थयात्रा रोकनी होगी।
 
लु ने कहा, आगामी कार्रवाई को लेकर हम इस बात पर निर्भर हैं कि भारतीय पक्ष क्या करेगा। उन्हें सुरक्षा स्थिति सुधारने के  लिए कार्रवाई करनी होगी।  चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कल रात कहा था, चीन, भारत से अनुरोध करता है कि वह सीमा पार करने वाले जवानों को तुरंत वापस बुलाए और इस मामले की विस्तृत जांच कराए।  
 
उन्होंने एक बयान में कहा, भारतीय सीमा रक्षक बलों ने चीन-भारत सीमा के सिक्किम क्षेत्र में सीमा पार की और चीन के क्षेत्र में घुस गए तथा उन्होंने हाल ही में सिक्किम में दोंगलांग क्षेत्र में चीनी सीमा बलों की सामान्य गतिविधियों को बाधित किया। चीनी पक्ष ने जवाबी कदम उठाए। उनका बयान चीन के रक्षा मंत्रालय के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उसने भारतीय जवानों पर सड़क निर्माण के एक काम पर आपत्ति जताने का आरोप लगाया था। चीन ने दावा किया कि सड़क निर्माण वह अपने क्षेत्र में कर रहा है। 
 
सड़क निर्माण को लेकर विवाद ही वह वजह दिखाई दे रही है जिसके चलते चीन ने सिक्किम में नाथू ला दर्रे के जरिए तिब्बत  में कैलाश और मानसरोवर के दर्शन करने के लिए रवाना हुए 47 भारतीय तीर्थयात्रियों के जत्थे को रोक दिया। 
 
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रेन गुओछियांग ने कल कहा कि हाल ही में चीन ने दोंगलांग क्षेत्र में एक सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया था लेकिन भारतीय जवानों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार कर इसे रोक दिया।
 
गेंग ने अपने बयान में कहा कि चीन-भारत सीमा पर सिक्किम क्षेत्र को संधियों द्वारा परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा  कि भारत सरकार ने लिखित में निरंतर इस बात की पुष्टि की है कि उसे इससे कोई आपत्ति नहीं है। गेंग ने कहा कि चीन, भारत से आग्रह करता है कि वह चीन-भारत सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सीमा संधियों और चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का सम्मान करें।
 
प्रवक्ता ने कहा कि इस घटनाक्रम के चलते चीन ने सुरक्षा कारणों से नाथू ला दर्रे के जरिए चीन में भारतीय श्रद्धालुओं के  प्रवेश करने की व्यवस्था पर रोक लगा दी है। चीन ने कूटनीतिक माध्यमों के जरिए अपने फैसले के बारे में भारत को सूचित  कर दिया है। नाथू ला दर्रा समुद्र से 4,545 मीटर की ऊंचाई पर है और यह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, शिगात्से विभाग में यादोंग काउंटी और सिक्किम के बीच स्थित है।
 
गेंग ने कल यह भी कहा कि दोनों देशों के विदेश मंत्रालय इस मुद्दे को लेकर बातचीत कर रहे हैं। गेंग का यह बयान तब आया  है जब भारतीय सेना और पीएलए के जवानों के बीच धक्का-मुक्की के बाद दूरवर्ती सिक्किम क्षेत्र में तनाव बढ़ गया। इसमें  चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसकर अस्थायी बंकरों को नुकसान पहुंचाया।
 
यह घटना जून के पहले सप्ताह की है जब सिक्किम में डोका ला जनरल इलाके में लालटेन चौकी के समीप दोनों बलों के बीच  धक्का मुक्की होने के बाद चीन-भारत सीमा पर तनाव उत्पन्न हो गया। झड़प के बाद पीएलए भारतीय क्षेत्र में घुसी और उसने सेना के दो अस्थायी बंकरों को क्षतिग्रस्त कर दिया।
 
वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इस क्षेत्र में भारतीय सेना और सीमा रक्षक बल आईटीबीपी तैनात है और उसका शिविर  अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। (भाषा)

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