वॉशिंगटन। 'मेक इन इंडिया' अकेले चलने या संरक्षणवादी कदम नहीं है, बल्कि यह वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल होने का तरीका है। एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक ने गुरुवार को यह बात कही।
अमेरिका में भारतीय दूतावास में आर्थिक मामलों के प्रमुख अरुणिष चावला ने कहा कि शहर में जो एक बड़ी खबर चल रही है कि क्या भारत संरक्षणवाद की ओर लौट रहा है? स्पष्ट रूप से इसका जवाब है- नहीं। वॉशिंगटन में भारत-अमेरिका संबंधों पर एक पैनल चर्चा में चावला ने कहा कि भारत ने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सावधानी के साथ एक रणनीति अपनाई है जिसे 'मेक इन इंडिया' नाम दिया गया है।
हम 'मेड इन इंडिया' से 'मेक इन इंडिया' की ओर गए हैं। 'मेक इन इंडिया' एक अलग-थलग करने वाली रणनीति नहीं है। यह संरक्षणवाद की नीति भी नहीं है। यह आंख मूंदकर आयात का विकल्प तैयार करने के रास्ते पर चलने वाली नीति भी नहीं है। यह वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल होने की नीति हैं। उन्होंने कहा कि बड़े आकार की अर्थव्यवस्था के लिए बाजार के बड़े आकार का लाभ लेना जरूरी है।
चावला ने कहा कि भारत, अमेरिकी कंपनियों के लिए काफी अवसर पेश करता है तथा अमेरिकी कंपनियों का स्वागत है, भारत में उन्हें प्यार मिलता है, सम्मान मिलता है। उनके व्यवहार का सम्मान किया जाता है, भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में वे बेहतर स्थिति में हैं। चावला ने कहा कि भारत द्विपक्षीय व्यापार में फासले को कम करने के लिए कदम उठा रहा है। (भाषा)