Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

अमेरिका में बंदी बनाए गए भारतीयों को हथकड़ियां लगाकर नहीं रखा जा रहा : स्वयंसेवी कार्यकर्ता

Advertiesment
हमें फॉलो करें अमेरिका में बंदी बनाए गए भारतीयों को हथकड़ियां लगाकर नहीं रखा जा रहा : स्वयंसेवी कार्यकर्ता
, शुक्रवार, 20 जुलाई 2018 (19:54 IST)
वॉशिंगटन। अमेरिका में अवैध तरीके से प्रवेश करने के कारण हिरासत में लिए गए करीब 50 भारतीय नागरिकों को अब हथकड़ियां लगाकर नहीं रखा जा रहा। इन बंदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने वाले समूह की एक सदस्य ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। वे इन कैदियों से प्रतिदिन मुलाकात करती हैं।
 
 
मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया था कि अपने देश में धार्मिक और राजनीतिक उत्पीड़न के डर से अमेरिका में शरण मांगने आए भारतीय आव्रजकों के साथ ओरेगॉन की एक संघीय जेल में अपराधियों जैसे सुलूक किया जा रहा है। उन्हें यहां कई हफ्तों से बंदी बनाकर रखा गया है। सामुदायिक कॉलेज की प्रोफेसर नवनीत कौर ने कहा कि उन्होंने यह बयान नहीं दिया था कि जेल में बंदी बनाकर रखे गए आव्रजकों को यहां लाने के बाद से हर वक्त हथकड़ियों और जंजीर से बांधकर रखा जाता है। उनके बयान को मीडिया में गलत तरीके से पेश किया गया।
 
शेरिडन (ओरेगॉन) जेल में बंद 50 भारतीय कैदियों को कानूनी सहायता उपलब्ध करा रहे इनोवेशन लॉ लैब से जुड़ी कौर ने कहा कि उन्होंने इन बंदियों से मुलाकात के दौरान जो कुछ सुना, उस आधार पर ये बातें कही थीं। उनका मुख्य काम हिरासत में लिए गए लोगों के लिए अनुवाद करना है जिनमें से ज्यादातर पंजाब से हैं और केवल पंजाबी बोलते हैं।
 
कौर ने कहा कि 14 जुलाई 2018 को ओरेगॉन के एस्टोरिया में गदर पार्टी की स्थापना के 105 साल पूरे होने पर रखे गए समारोह में मैंने अमेरिका में आईसीई द्वारा हिरासत में लिए गए आव्रजकों के मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के कुछ उदाहरण दिए थे। मैंने उन्हें यहां लाए जाने के बाद कानूनी प्रतिनिधित्व तक उनको पहुंच न देने, 1 दिन में 22 घंटे तक जेल की कोठरी में बंद रखने, 24 घंटे तक उन्हें हथकड़ियों और जंजीरों में बंद रखने जैसे उल्लंघनों के कुछ उदाहरण दिए।
 
हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी समझ के मुताबिक शेरिडन जेल में शुरुआत में देखे गए हालातों के मुकाबले अब कुछ सुधार हुए हैं, वहीं एक दूसरे बयान में एपीएएनओ की साउथ एशियन शेरिडन सपोर्ट कमेटी ने आरोप लगाया कि यह सब ट्रंप प्रशासन की अन्यायपूर्ण नीति का सीधा परिणाम है। संस्था ने कहा कि यह सोचना बेहद भयावह है कि शरण मांगने आए लोगों को जेल में बंद कर दिया गया हो, जहां कोई उनकी भाषा न बोलता है, जहां वे पगड़ी नहीं पहन सकते, जो उनके धर्म से जुड़ा मामला है। इस बीच सैन फ्रांसिस्को स्थित भारत के वाणिज्य दूतावास के एक अधिकारी इन बंदियों की स्थिति का प्रत्यक्ष रूप से जायजा लेने पहुंचे। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बारिश के बीच वडोदरा शहर में घुसे मगरमच्छ