जापान में तीन दिवसीय क्वाड समिट जारी है, जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं। भारत के नजरिये से ये चार देशों का सम्मेलन बहुत ही महत्वपूर्ण है। आने वाले कुछ वर्षों में इससे होने वाले आर्थिक और रणनीतिक फायदों को प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकेगा। देखा जाए तो जापान में इसका आयोजन होना चीन के लिए एक सशक्त संदेश है। चीन की वर्चस्ववादी आर्थिक नीतियों से निपटने में भार
त को क्वाड देशों से काफी सहयोग मिलने की अपेक्षा है।
भारत-अमेरिका के अच्छे संबंध शुरुआत से चीन की आंखों में खटकते हैं। वह ये मानता है कि उसके इंडो-पैसिफिक आर्किटेक्चर के आगे भारत दीवार बनकर खड़ा हुआ है। ऐसे में अगर भारत को इस क्षेत्र जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का सहयोग प्राप्त हो जाएगा तो चीन खुले तौर पर अपने दांव नहीं खेल पाएगा।
क्वाड से होने वाले आर्थिक लाभों को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। हम सभी ये जानते है कि अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया आर्थिक दृष्टि से समृद्ध और पूर्णतः विकसित राष्ट्र हैं। इन देशों में व्यापार की अपार संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच हुई शिखर वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत-अमेरिका कई वर्षों से प्रौद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
QUAD करेगा 50 बिलियन डॉलर का निवेश : इसके अलावा जापान, अमेरिका, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में कम से कम 50 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है, जिससे इस क्षेत्र में चीन के एकतरफा प्रभाव को कम किया जा सके।
ऐसी अपेक्षा है कि महामारी के बाद की अवधि में भारत सुधार और विकास की नई लहर की शुरुआत करेगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चीन से अलग होने के लिए स्थिर और दीर्घकालिक विकल्पों पर विचार कर रहा है। यह भी सर्वविदित है कि इस समय चीन का एकमात्र विकल्प भारत ही है। क्वाड सम्मलेन में आर्थिक, व्यापार और वाणिज्यिक क्षेत्रों में सहयोग की कुछ निश्चित रूपरेखा तैयार की गई है, जिनसे भारत को बहुत लाभ मिलेगा।
एक और मुख्य बिंदु ये है कि क्वाड एक छोर पर भारतीय कृषि का आधुनिकीकरण और दूसरे छोर पर रक्षा टेक्नोलॉजी के विकास में योगदान दे सकता है। इसके अलावा अक्षय ऊर्जा की दिशा में सहयोग अपेक्षित है, जो न केवल एक वैश्विक चिंता है बल्कि भारत की लगातार बढ़ती जरूरतों के लिए भी एक प्रमुख आवश्यकता है।
ऐसी भी अपेक्षा है कि क्वाड फोरम समय-समय पर पाकिस्तान पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदमों की रूपरेखा तैयार करेगा और चीन-पाक गठजोड़ पर कड़ी निगरानी रखेगा।
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि किसी एशियाई देश में दुनिया के 3 बड़े देशों से मिलकर भारत का आर्थिक और रक्षा नीतियों पर विचार मंथन करना, चीन और पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश है। जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से प्राप्त हुए सहयोग के बूते आने वाले वर्षों में भारत अंतराष्ट्रीय स्तर पर कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।