ईरानी राष्ट्रपति की हेलिकॉप्टर क्रेश में मौत पर मोसाद क्यों हो रहा ट्रेंड?
दुनिया पर क्या असर होगा अगर हादसे में निकला इजरायल का हाथ?
Photo: Social media viral
Iran President ebrahim raisi died: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत हो गई है। इब्राहिम रईसी के साथ विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन भी थे और इस हादसे में उनकी भी मौत हो गई है। इरान के लिए यह हादसा एक बडी दुखद घटना के रूप में सामने आया है।
वहीं हादसे के बाद इस पर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। बता दें कि इजरायल और ईरान की दुश्मनी से पूरी दुनिया वाकिफ है। हाल ही में ईरान ने इजरायल पर एक के बाद एक कई मिसाइल हमले किए थे। अब राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ट्रेंड करने लगी है। सोशल मीडिया पर तमाम दावे किए जा रहे हैं।
क्या ईरान के राष्ट्रपति की मौत में इजरायल की सीक्रेट एजेंसी मोसाद का हाथ है?
कब और कैसे हुआ हादसा: राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर रविवार 29 मई को शाम 7 बजे के करीब क्रैश हुआ था। इब्राहिम रईसी अजरबैजान से सटी सीमा पर एक डैम का उद्घाटन करने गए थे और वहां से वह लौट रहे थे। इसी दौरान उनका हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हुआ। इस हादसे में विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन दोनों की मौत हो गई।
क्या मोसाद की है साजिश: बता दें कि लंबे समय से इजरायल और ईरान के बीच की दुश्मनी और तनातनी जारी है। हाल ही में ईरान ने इजरायल पर एक के बाद एक कई मिसाइल हमले किए थे। इजरायल ने सभी ईरानी मिसाइल को मार गिराया था और जवाबी हमला भी किया था। बता दें कि इस दौरान इजरायल ने बदला लेने की चेतावनी भी दी थी। ईरान ने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन से अटैक किया था। इजरायल-गाजा युद्ध के बाद से ही ईरान और इजरायल के बीच तल्खी बढ़ गई है। ऐसे में चर्चा है कि अगर यह हेलीकॉप्टर हादसा साजिश है, तो इसमें इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ हो सकता है।
यह भी एक एंगल है: 2012 में द लंदन टाइम्स अखबार में छपे एक लेख में दावा किया गया था कि मोसाद ईरान पर नजर रखने के लिए अजरबैजान की जमीन का इस्तेमाल कर रहा है। ये लेख मोसाद के एक एजेंट से मिली जानकारी के आधार पर छापा था। बता दें कि अजरबैजान एक शिया मुस्लिम बहुल देश है, जहां करीब 55 फीसद शिया मुस्लिम और करीब 40 फीसद सुन्नी मुस्लिम रहते हैं। इसके साथ एक डेटा के मुताबिक देश में 3 से 4 फीसद ईसाई और लगभग 9 हजार यहूदी धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। शिया बहुल होने की वजह से अजरबैजान की जनता का झुकाव हमेशा से ईरान की ओर रहा है।
कम विजिबिलटी में क्यों उड़ा हेलीकॉप्टर : वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान के राष्ट्रपति डैम का उद्घाटन करने के बाद ईरान की तबरेज सिटी जा रहे थे। इस बीच हेलीकॉप्टर को करीब 50 किलोमीटर की ही दूरी तय करनी थी। जहां पर यह हादसा हुआ, वह पहाड़ी इलाका है जहां काफी अधिक कोहरा भी था। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक वहां विजिबिलिटी भी 5 मीटर से अधिक नहीं थी। आमतौर पर एक हेलीकॉप्टर को उड़ने के लिए 800 मीटर की विजिबिलटी होनी चाहिए।
इजरायल-अजरबैजान की खुफिया साझेदारी: बता दें कि इजरायल और अजरबैजान के बीच अच्छे खुफिया रिश्ते हैं। दोनों ही देश एक दूसरे के साथ खुफिया जानकारी साझा करते हैं। ईरानी राष्ट्रपति रईसी अजरबैजान से सटी सीमा पर ही डैम का उद्घाटन करने गए थे। हालांकि ईरान और अजरबैजान दोनों शिया मुल्क हैं लेकिन दोनों देशों के बीच कड़वाहट भी है।
दोस्ती और दुश्मनी की थ्यौरी : अजरबैजान के शिया देश होने का बाद भी इजराइल से दोस्ती क्यों है? इसको समझना उतना ही आसान जितना दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली थ्यौरी। अजरबैजान का आर्मेनिया के साथ लंबे समय से जातीय और क्षेत्रीय संघर्ष रहा है। ईरान की सीमा आर्मेनिया से भी मिलती और ईसाई देश आर्मेनिया के साथ भी उसके काफी गहरे रिश्ते हैं, दोनों ही देश क्षेत्र में रणनीतिक और व्यापारिक साझेदार हैं। द नेशनल इंटेरेस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों का व्यापार साल 2021 में 471 मिलियन डॉलर था।
क्या कहा अमेरिका ने : हादसे के बाद अमेरिका ने इस घटना का संज्ञान लिया है। साथ ही घटना पर नजर बनाए हुए हैं। अमेरिका के सांसद चक शूमर ने बयान जारी कर कहा कि उनकी खुफिया एजेंसी एफबीआई से बात हुई है और कहीं भी किसी साजिश की आशंका या कोई सबूत नहीं मिले हैं।
इजराइल का हाथ हुआ तो क्या होगा: फिलहाल तो यह अटकलें ही है कि हादसे में इजरायल का हाथ हो सकता है, लेकिन अगर इसमें सचाई हुई तो दुनिया के हालात और बिगड़ सकते हैं। इसके बाद अजरबैजान और ईरान के रिश्ते एक बार फिर बिगड़ सकते हैं। हिज्बुल्ला ने तो खुले तौर पर धमकी दे दी है कि अगर इजराइल का इस मामले में हाथ पाया गया तो अंजाम अच्छे नहीं होंगे। अगर ऐसा हुआ तो पहले से गाजा और यूक्रेन जंग की मार झेल रही दुनिया को जंग का एक और मोर्चा खुलने से तेल, सोना जैसे उत्पादों की कीमतों में उछाल देखने मिल सकता है।
Edited by Navin Rangiyal