टोक्यो। अंतरिक्ष में अब तक प्राकृतिक उल्कापिंडों की आतिशबाजी देखने को मिलती थी लेकिन अब कृत्रिम उल्कापिंडों की आतिशबाजी भी हमें अंतरिक्ष में अगले साल देखने को मिल सकती है। दुनिया की पहली कृत्रिम उल्का पिंडो की आतिशबाजी कराने के लिए तैयार किए गए एक उपग्रह को लेकर सफलतापूर्वक एक रॉकेट शुक्रवार को अंतरिक्ष पहुंचा है। जानिए इस आतिशबाजी से जुड़ी 4 खास बातें...
टोक्यो की एक स्टार्टअप कंपनी ने अगले साल की शुरुआत में हिरोशिमा के आसमान में आकाशीय उल्का पिंड की कृत्रिम आतिशबाजी दिखाने के लिए एक सूक्ष्म उपग्रह तैयार किया है। इसके प्रारंभिक प्रयोग को ‘शूटिंग स्टार्स ऑन डिमांड’ नाम दिया गया है।
यह उपग्रह ऐसे छोटे-छोटे गेंद के आकार वाले पदार्थ को अंतरिक्ष में छोड़ेगा, जो धरती के वातावरण में प्रवेश करने पर ठीक उसी तरह जल उठेंगे जैसे प्राकृतिक उल्का पिंड।
दरअसल ब्रह्मांड में मौजूद छोटे-छोटे उल्कापिंड या चट्टानों के टुकड़े पृथ्वी की कक्षा में घुसते ही जल जाते हैं, जिससे रोशनी प्रकट होती है। यह आतिशबाजी जैसा ही लगता है।
इस उपग्रह को एपसिलोन-4 रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में ले जाया गया है। इस रॉकेट को यूचिनौरा अंतरिक्ष केंद्र से जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) ने शुक्रवार की सुबह प्रक्षेपित किया।