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ICHRRF ने समझा कश्मीरी पंडितों का दर्द, अत्याचार को बताया- जातीय और सांस्कृतिक नरसंहार

हमें फॉलो करें ICHRRF ने समझा कश्मीरी पंडितों का दर्द, अत्याचार को बताया- जातीय और सांस्कृतिक  नरसंहार
, सोमवार, 28 मार्च 2022 (17:45 IST)
कश्मीरी पंडितों के दर्द को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ने भी स्वीकार कर लिया है। वॉशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (ICHRRF) ने कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों को को नरसंहार माना है और इसमें शामिल दोषियों को सख्त सजा देने की अपील की है। 
 
आयोग ने कहा कि यह जातीय और सांस्कृतिक नरसंहार था। आईसीएचआरआरएफ दुनिया भर में मानव अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए काम करने वाला संगठन है। रविवार को इस संबंध में आईसीएचआरआरएफ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान 12 कश्मीरी पंडितों ने अपने अत्याचारों को बताया। 
 
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने पीड़ित लोगों और हिंसा में बचे हुए लोगों की गवाही के बाद यह बयान दिया है। कश्मीर से 1989-90 के दौरान हजारों कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में अपने ही घर से भागना पड़ा। वे 30 साल बाद भी अपने घर नहीं लौट पाए हैं।
 
आईसीएचएचआर ने कहा कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार जातीय और सांस्कृतिक  नरसंहार था। यह मानवता के खिलाफ अपराध था। इसमें बचे लोगों की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए अपराध करने वालों को सजा दिलान में मानवाधिकर संगठन कोशिशों में लगे हुए हैं।

निकाय ने भविष्य में होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार और जातीय नरसंहार की जांच के लिए एक आयोग की नियुक्ति की भी मांग की। उनकी मांग में अपराधियों और उनके समर्थकों को कानूनी रूप से जवाबदेह ठहराना शामिल है। उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर कश्मीरी हिंदू परिवारों की दुर्दशा को कम करने के लिए सरकारी वित्तीय सहायता कार्यक्रमों और एक कश्मीरी हिंदू होलोकॉस्ट संग्रहालय स्थापित करने की अनुमति की भी मांग की है।

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