हाइफा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इसराइल के हाइफा शहर में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान शक्तिशाली ओट्टोमन साम्राज्य से शहर की रक्षा करते हुए शहीद हुए भारतीय सैनिकों के स्मारक पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
स्मारक पर जाने से पहले मोदी ने कहा, 'यह उन 44 भारतीय सैनिकों की अंतिम विश्रामस्थली है जिन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान शहर को आजाद कराने के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी।'
भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को दो बहादुर इंडियन कैवलरी रेजिमेंट के सम्मान में हाइफा दिवस मनाती है। इस रेजिमेंट की 15वीं इंपीरियल सवर्सि कैवलरी ब्रिगेड ने शानदार घुड़सवारी का जौहर दिखाते हुए शहर को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
1918 के पतझड़ में भारतीय ब्रिगेड संयुक्त बलों का हिस्सा थी जो फिलिस्तीन के उत्तर से दुश्मनों का सफाया कर रही थीं। इस अभियान को इतिहास के आखिरी महान घुड़सवार अभियान के तौर पर देखा जाता है।
कैप्टन अमन सिंह बहादुर और दफादार जोर सिंह को इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट (आईओएम) से सम्मानित किया गया जबकि कैप्टन अनूप सिंह और सेकंड लेफ्टिनेंट सागत सिंह को युद्ध में उनकी बहादुरी के लिए मिल्रिटी क्रॉस प्रदान किया गया।
शहर को आजाद कराने में अहम भूमिका के लिये मेजर दलपत सिंह को Þहीरो ऑफ हाइफा Þ के तौर पर जाना जाता है। उन्हें उनकी बहादुरी के लिए मिलिट्री क्रॉस से सम्मानित किया गया।
हाइफा नगरपालिका ने भारतीय सैनिकों के बलिदान को अमर करने के लिये वर्ष 2012 में उनकी बहादुरी के किस्सों को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया था।
करीब 402 सालों की तुर्को की गुलामी के बाद शहर को आजाद कराने में भारतीय सेना की भूमिका को याद करते हुए नगरपालिका ने हर वर्ष एक समारोह के आयोजन का भी फैसला किया था। (भाषा)