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मालदीव में नरेन्द्र मोदी विरोधी लेख पर बवाल

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, गुरुवार, 21 दिसंबर 2017 (17:39 IST)
मालदीव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विरोधी लेख को लेकर विवाद पैदा हो गया है। खास बात यह है कि यह लेख सरकार समर्थित एक वेबसाइट में छपा है। हालांकि विपक्षी दलों ने यह कहकर इस लेख की आलोचना की है कि इससे भारत विरोधी भावना जाहिर होती है। 
 
वेगुथु (Vaguthu) नामक वेबसाइट को सरकार समर्थित माना जाता है। वेगुथु का संपादकीय 'India is not a best friend, but an enemy!' हेडलाइन से छपा है। इस संपादकीय में कहा गया है कि मालदीव को देखने का भारत का परंपरागत नजरिया अब बदल गया है। भारत अब मालदीप के प्रति द्वेष की भावना रखता है। 
 
वेबसाइट के संपादकीय में भारत की कश्मीर नीति और इस्लाम को लेकर रुख पर टिप्पणी की गई है। इसमें मोदी को अतिवादी हिंदू बताया गया है। साथ ही कहा गया है कि चीन से मालदीव के बढ़ते रिश्ते को लेकर भारत उससे ईर्ष्या करता है। 
 
वेगुथु राष्ट्रपति यामीन का मुखपत्र है। संपादकीय छपने से पहले राष्ट्रपति ऑफिस से मंजूरी ली जाती है। हालांकि भारत विरोधी इस लेख की दो पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद और मौमून अब्दुल गयूम ने आलोचना की है।
 
गयूम ने ट्वीट कर कहा है कि मालदीव के लोग इस नजरिए से इसे नहीं देखेंगे। मैं इस लेख की आलोचना करता हूं। भारत हमेशा से मालदीव का नजदीक और विश्वासपात्र दोस्त रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की विदेश नीति भारत के साथ रिश्ते को बिगाड़ रही है। 
 
यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि चीन भारत को घेरने के लिए मालदीव और श्रीलंका को अपनी तरफ करना चाहता है। वहां के राष्ट्रपति यमीन का झुकाव भी चीन की तरफ ही दिखता है। चीन जिस तरह से मालदीव को आर्थिक स्तर पर मदद दे रहा है इससे लगता है कि आने वाले दिनों में उसके बड़े हिस्से को अपने तरीके से इस्तेमाल करेगा।
 
भारतीय सेना ने विफल किया था तख्तापलट : उल्लेखनीय है कि अब्दुल्ला लूथफी के नेतृत्व में मालदीव के एक समूह द्वारा 1988 में तख्तापलट का प्रयास किया गया था। श्रीलंका से पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम (PLOTE) ने इस तख्तापलट में सहयोग किया था, लेकिन मालदीव सैनिकों की बहादुरी और भारतीय सेना के हस्तक्षेप के कारण तख्तापलट विफल रहा था। इस ऑपरेशन को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा ऑपरेशन कैक्टस नाम दिया गया था। उस समय राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे।


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