काठमांडू। नेपाल में वायु प्रदूषण के कारण हर साल कम से कम 35 हजार लोग काल के गाल में समा जाते हैं।
अंग्रेजी दैनिक 'द हिमालयन टाइम्स' के मुताबिक यह आंकड़ा शुक्रवार को नेपाल एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनएएसटी) की ओर से आयोजित एक सेमिनार में पेश किया गया। 'वायु प्रदूषण पर नियंत्रण' विषय पर आयोजित इस सेमिनार में इसके विभिन्न कारणों पर चर्चा की गई तथा देश में इसके कारण बढ़ रही मौतों पर गंभीर चिंता जाहिर की गई।
राज्यपाल गोविंद बहादुर तुम्बाहांग ने वायु प्रदूषण की व्यापक समस्या को हल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे क्षेत्रीय, जातीय, धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों से उच्च महत्व देने की वकालत की। एनएएसटी के वाइस-चांसलर प्रो. डॉ. जीवराज पोखरेल ने कहा कि वे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक प्रांत में प्रदूषण जांच केंद्र स्थापित कर रहे हैं।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. घनश्यामलला दास और बिरतनगर महानगर के महापौर भीम पराजुली ने कहा कि लोगों की ओर से लापरवाही के चलते वायु प्रदूषण से होने वाला खतरा बढ़ रहा है।
एनएएसटी के विद्वान मदनलाल श्रेष्ठ ने एक पेपर प्रस्तुत करते हुए बताया कि विश्व स्तर पर वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कैंसर (36 प्रतिशत), दिल का दौरा (34 प्रतिशत) और अन्य हृदय रोग (27 प्रतिशत) जैसे जानलेवा रोग होते हैं। (वार्ता)