लंदन। अब तक कैंसर का इलाज सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरपी और इम्यूनोथेरेपी से होता आ रहा है। लेकिन इनके कई साइड इफेक्ट हैं। किसी से सिर के बाल चले जाते हैं, तो किसी से रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। सालों तक ट्रीटमेंट कराने के बाद भी कैंसर के सेल्स जड़ से खत्म नहीं होते। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखकर वैज्ञानिकों ने कैंसर के पांचवे ट्रीटमेंट के रूप में फोटोइम्यूनोथेरेपी (Photoimmunotherapy) नामक एक नया तरीका खोजा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक दुनिया में कैंसर के इलाज के लिए जितनी थेरेपी मौजूद थी, उनसे शरीर में कैंसर की कुछ कोशिकाएं रह जाती थी, जिससे ट्रीटमेंट के बाद भी मौत का खतरा बना रहता था। लेकिन, फोटोइम्यूनोथेरेपी कैंसर के उपचार के क्षेत्र में गेमचेंजर साबित हो सकती है।
कैसे काम करती है फोटोइम्यूनोथेरेपी?
इसे लंदन स्थित कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है। उन्होंने बताया कि ये एक अत्याधुनिक थेरेपी है, जिसकी मदद से ट्रीटमेंट के दौरान कैंसर के छोटे-छोटे सेल्स चमकते हुए दिखने लगते हैं। ऐसे में इन सेल्स को आसानी से देखा और निकाला जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके अलावा चिकित्सा जगत में उपलब्ध सभी थेरेपी से इलाज के बाद भी कैंसर के कुछ सेल्स बॉडी में रह जाते हैं, जिससे बीमारी के पुनः बड़ा रूप धारण करने की आशंकाएं बनी रहती थी। लेकिन फोटोइम्यूनोथेरेपी द्वारा उपचार से कैंसर की पुनरावृत्ति पर रोक लगाई जा सकेगी।
चूहों पर किया सफल प्रयोग:
कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने ग्लियोब्लास्टोमा (ब्रैन कैंसर) से जूझ रहे चूहों पर इस थेरेपी का परिक्षण किया। ट्रीटमेंट के दौरान शरीर में स्थित कैंसर के छोटे-छोटे सेल्स भी आसानी से दिखने लगे, जिन्हे निकाल लिया गया। जो सेल्स नहीं निकल पाए, उन्हें साधारण सर्जरी से हटा दिया गया। इस तरह वैज्ञानिकों ने इस ट्रीटमेंट का सफल प्रयोग किया।
ब्रेन ट्यूमर निकालने में होगी आसानी:
रिसर्च टीम से जुड़े एक वैज्ञानिक ने बताया कि सामान्य तौर पर ब्रेन कैंसर के इलाज की प्रोसेस बड़ी ही जटिल होती थी। धीरे-धीरे इम्युनिटी कमजोर होती जाती थी और मरीज की जान का खतरा बना रहता था। इस ट्रीटमेंट से इन समस्याओं का समाधान होगा और ब्रेन ट्यूमर निकालने में भी आसानी होगी।
कुछ ही दिनों में इस ट्रीटमेंट का ह्यूमन ट्रायल शुरू किया जाएगा, जिसके बाद शोधकर्ता इसका प्रयोग कैंसर के दूसरे प्रकारों पर करेंगे। बता दें कि कई मामलों में चूहों और इंसानों पर किए गए प्रयोगों के नतीजे एक जैसे ही आते हैं।