वॉशिंगटन। न्यूजीलैंड में दो मस्जिदों पर हुए हमले के बाद दुनियाभर में 'श्वेत राष्ट्रवाद' पर चर्चा शुरू हो गई है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि न्यूजीलैंड की मस्जिदों में हुआ नरसंहार यह नहीं दर्शाता कि विश्व में श्वेत राष्ट्रवाद एक बढ़ती समस्या है।
ट्रंप ने शुक्रवार को ओवल कार्यालय में संवाददाताओं से कहा, 'मुझे वास्तव में ऐसा नहीं लगता। मुझे लगता है कि यह लोगों का एक छोटा समूह है।'
ऐसा बताया जा रहा है कि हमलावर से हमले से पहले एक बड़ा घोषणापत्र भी ऑनलाइन पोस्ट किया था जिसमें उसने ट्रंप को नई श्वेत पहचान एवं साझा मकसद का चिह्न करार दिया था। ट्रंप से जब यह पूछा गया कि क्या उन्होंने घोषणापत्र पढ़ा है, उन्होंने कहा, 'मैंने इसे नहीं पढ़ा।'
उल्लेखनीय है कि क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में हुए हमलों में कम से कम 49 लोगों की मौत हुई है। बंदूकधारी की पहचान एक ऑस्ट्रेलियाई श्वेत राष्ट्रवादी के रूप में की गई है जिसने हमले का ऑनलाइन सीधा प्रसारण किया था।
हमलावर ने पोस्ट किया 74 पेज का दस्तावेज : उल्लेखनीय है कि हमलावर ने सोशल मीडिया पर 74 पृष्ठों का एक दस्तावेज भी पोस्ट किया था। इसमें उसने बताया कि इस जघन्य वारदात को बदले की भावना से अंजाम दिया गया है। उसने खुद को एक 'श्वेत राष्ट्रवादी' बताया है, जो आव्रजकों से बेहद घृणा करता है।
यह शख्स यूरोप में इस्लामिक आतंकियों के हमलों से नाराज था। इसके कारण वह बदला लेना चाहता था और भय पैदा करना चाहता था। हमलावर को इस वारदात के बाद बच निकलने की उम्मीद थी। ताकि वह सोशल मीडिया पर अपनी बात को बेहतर तरीके से रख सके।
पाकिस्तान को सराहा : ऑस्ट्रेलियाई अखबार सिडनी मार्निंग हेराल्ड के मुताबिक फेसबुक पर हमलावर ने अपनी पाकिस्तान की यात्रा को लेकर एक पोस्ट लिखा था। इसमें उसने लिखा था कि दुनिया में सबसे अधिक योग्य, दयालु और विनम्र लोगों से भरा एक अविश्वसनीय स्थान पाकिस्तान में है। हमलावर ने कहा कि उसने हमले की साजिश तो लगभग दो साल पहले ही कर ली थी। लेकिन उस समय जगह का चयन नहीं कर पाया था। तीन महीने पहले उसने जगह का चयन किया कि हमला कहां करना है।