उत्तर कोरिया हमेशा गु्आम द्वीप पर हमले की धमकी देता रहता है, तो इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह द्वीप अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य केन्द्र है। यहां अमेरिका ने गोला-बारूद का इतना विशाल भंडार जमा कर रखा है, उससे वह कई हफ्तों तक युद्ध लड़ सकता है। यह प्रशांत महासागर में एक अलग-थलग पड़ा हुआ द्वीप है और इसकी पहचान अमेरिकी सैन्य ठिकाने के रूप में है।
यहां अमेरिकी नेवी और जंगलों के बीच बसा एयरफोर्स का विशाल एंडरसन एयरफोर्स बेस भी है। इस एयरबेस के रनवे पर बी1 बमवर्षकों का एक बेड़ा हर समय तैयार रहता है, ताकि उत्तर कोरिया के दक्षिण कोरिया पर हमला बोलने की स्थिति में कभी भी जवाब दिया जा सके। नेवी बेस पर परमाणु हमले के लिए पनडुब्बियों का बेड़ा तैनात है। लेकिन इससे भी खास जगह गुआम के दक्षिण में पहाड़ी के नीचे छिपी हुई है। करीब सात हजार अमेरिकी सैनिक अपने परिवार के साथ यहां रहते हैं।
यदि उत्तर कोरिया गुआम पर हमला करता है और अमेरिका पलटवार करता है तो उत्तर कोरिया की तबाही निश्चित है। इस समय उत्तर कोरिया की आबादी ढाई करोड़ के लगभग है और अमेरिकी हमले की स्थिति में पूरा देश तबाह हो जाएगा। ऐसी स्थिति में चीन भी उसकी मदद नहीं कर पाएगा।
प्योंगयांग के निशाने पर : अमेरिका के हवाई द्वीप से गुआम 6,300 किलोमीटर दूर है, लेकिन उत्तर कोरिया से गुआम की दूरी 3,500 किलोमीटर है। गुआम 1898 से अमेरिका का इलाका है। उत्तर कोरिया प्योंगयांग विवाद भड़कने पर गुआम पर मिसाइल हमले करने की चेतावनी देता रहा है। लेकिन अगर उत्तर कोरिया कोई मिसाइल हमला करता है तो उसे अमेरिकी ही नहीं वरन दक्षिण कोरिया, जापान की संयुक्त ताकत से भी सामना करना पड़ेगा। अमेरिका के डर के कारण ही उत्तर कोरिया ने अभी तक दक्षिण कोरिया पर हमला नहीं किया है।
यदि कोरिया मिसाइल हमला करता है तो उसकी समूची सैन्य ताकत भी अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के आगे नहीं ठहरती है। उत्तर कोरिया के पास करीब 7 लाख सैनिकों का सक्रिय दल है इसके अलावा इसकी रिजर्व फोर्स में भी करीब 45 लाख सैनिक हैं। उत्तर कोरिया के पास 70 पनडुब्बियां, 4200 टैंक, 458 फाइटर जेट हैं। इसके अलावा उत्तर कोरिया 572 लड़ाकू विमान भी रखता है।
लेकिन, उत्तर कोरिया मात्र परमाणु शक्ति के सहारे ही आंखें नहीं दिखाता। उत्तर कोरिया की फौज दुनिया में बड़ी सेनाओं में से एक है और पारंपरिक और गैर-परमाणु सामरिक हथियारों का जखीरा भी उत्तर कोरिया की ताकत है। प्योंगयांग अपनी ताकत का इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचकता। कुछ खुफिया एजेंसियों के अनुसार उत्तर कोरिया अगले 2 सालों में अमेरिका पर हमला करने की ताकत में आ जाएगा। लेकिन दोनों देशों के भी सीधा टकराव उत्तर कोरिया की भारी तबाही का कारण बन सकता है। इस लड़ाई में उसका करीबी मित्र चीन भी ज्यादा मदद करने की हालत में नहीं होगा।
उत्तर कोरिया के लिए भी खतरा : गुआम द्वीप का एक चौथाई हिस्सा पूरी तरह अमेरिका की छावनी है। यहां अमेरिकी वायुसेना और नौसेना के बड़े अड्डे हैं। चार परमाणु पनडुब्बियां हर वक्त गुआम में अमेरिकी बेड़ों की रक्षा करती हैं। पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर की निगरानी के मिशन भी गुआम से ही ऑपरेट होते हैं। अमेरिकी सेना गुआम को हथियार की नोक भी कहती है।
गुआम से भी बमबारी संभव : गुआम के ऐप्रा हॉर्बर के साथ ही यहां एंडरसन एयरफोर्स बेस भी है। एयरफोर्स बेस में बी-52 बॉम्बर और बी-1बी लांसर जैसे विध्वंसक विमान तैनात रहते हैं। 2010 से अमेरिका ने वहां आरयो-4बी ग्लोबल हॉक्स भी तैनात किए हैं। इस एयरफोर्स बेस का इस्तेमाल नासा की स्पेस शटल लैंडिंग के लिए भी किया जाता है।
एयर डिफेंस सिस्टम से लैस : उत्तर कोरिया के खतरे से निपटने के लिए अमेरिका ने 2013 से ही गुआम में एयर डिफेंस सिस्टम लगाना शुरू कर दिया था। हाई अल्टीट्यूट एरिया डिफेंस सिस्टम पूरे गुआम को कवर करता है। गुआम प्रशांत महासागर में सुदूर दक्षिणी हिस्से का द्वीप है। यह माइक्रनेजा का सबसे बड़ा द्वीप है। इसका क्षेत्र 210 वर्ग मील में फैला हुआ हुआ है जो करीब शिकागो के बराबर है।