Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Operation Dost : भूकंप से 28,000 से ज्यादा की मौत, भारत ने तुर्किये और सीरिया में फिर भेजी 'राहत'

Advertiesment
हमें फॉलो करें Operation Dost : भूकंप से 28,000 से ज्यादा की मौत, भारत ने तुर्किये और सीरिया में फिर भेजी 'राहत'
, रविवार, 12 फ़रवरी 2023 (08:45 IST)
तुर्किये और सीरिया में भूकंप से अब तक 28,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। संयुक्त राष्‍ट्र के राहत प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ के अनुसार, भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 50,000 से ज्यादा हो सकती है। इस बीच भारत ने भूकंप प्रभावित तुर्किये और सीरिया को और अधिक जीवन रक्षक दवाएं और राहत सामग्री भेजी। ये सामग्री सी-17 सैन्य विमान से भेजी गई हैं।
ग्रिफ़िथ शनिवार को तुर्की के दक्षिणी शहर कहारनमारस पहुंचे, जो पहले 7.8 तीव्रता वाले झटके का केंद्र था। उन्होंने कहा कि स्काई न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे लगता है कि मरने वालों का ठीक-ठीक अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि हमें मलबे के नीचे आने की जरूरत है लेकिन मुझे यकीन है कि यह दोगुना या अधिक होगा। अधिकारियों और चिकित्सकों ने कहा कि तुर्की में 24,617 और सीरिया में 3,574 लोग मारे गए।
भारत ने भेजी सातवीं खेप : भारत के ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत राहत सामग्री की यह सातवीं खेप भेजी गई है, जिसे सोमवार को आए भीषण भूकंप के बाद दोनों देशों की मदद के लिए शुरू किया गया है।
 
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट किया, 'ऑपरेशन दोस्त’ के तहत सातवां विमान सीरिया एवं तुर्किये के लिए रवाना हो गया है। विमान में राहत सामग्री, चिकित्सा सहायता, आपात एवं गहन देखभाल दवाइयां, चिकित्सा उपकरण एवं अन्य चीजें हैं।'
 
पिछले कुछ दिनों में भारत बचाव कार्य में मदद के लिए 5 सी-17 ग्लोबमास्टर सैन्य परिवहन विमान से तुर्किये को दवाएं, एक सचल अस्पताल और विशेष खोजी एवं बचाव टीम भेज चुका है। भारत ने सीरिया को भी भारतीय वायुसेना के सी-130 जे विमान से राहत सामग्री भेजी है।
 
अधिकारियों ने कहा कि विमान शनिवार शाम को रवाना हुआ जो पहले सीरिया की राजधानी दमिश्क जाएगा और वहां राहत सामग्री उतारने के बाद यह तुर्किये में अदन के लिए उड़ान भरेगा। विमान में 35 टन राहत सामग्री है, जिसमें से 23 टन राहत सामग्री सीरिया और करीब 12 टन राहत सामग्री तुर्किये के लिए है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भूकंप के बाद मलबे के नीचे कितने दिन जिंदा रह सकते हैं लोग?