वॉशिंगटन। व्यापक पैमाने पर लीक हुए पैराडाइज वित्तीय दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबियों से जुड़ी कंपनी के साथ कारोबारी संबंध हैं जबकि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने विदेशों में कर से बचाव करने वाले स्थानों पर निवेश किया हुआ है। इसमें यह भी खुलासा किया गया है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदू के लिए कोष जुटाने वाले और वरिष्ठ सलाहकार स्टीफन ब्रॉन्फमैन ने पूर्व सीनेटर लियो कोल्बर के साथ मिलकर विदेशों में कर पनाहगाहों में करीब 6 करोड़ डॉलर का निवेश कर रखा है।
केंद्रीय विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा का नाम भी शामिल है। 'पैराडाइज पेपर्स लीक' के बाद जयंत सिन्हा ने सफाई दी है। उनका कहना है कि जो दस्तावेज मिले हैं, वो उस वक्त के हैं, जब वे मंत्री नहीं थे। मंत्री बनने के पहले ही उन्होंने कंपनी से इस्तीफा दे दिया था। 'पैराडाइज पेपर्स' में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का नाम 'ओमिड्यार नेटवर्क' में साझेदारी को लेकर सामने आया है। मोदी सरकार में शामिल होने से पहले जयंत सिन्हा 'ओमिद्यार नेटवर्क' में बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर काम करते थे। 'ओमिद्यार नेटवर्क' ने अमेरिकी कंपनी 'डी लाइट' डिजाइन में बड़ा निवेश किया था। रिपोर्ट्स में इस अमेरिकी कंपनी की टैक्स हैवन केमैन आइलैंड में सब्सिडियरी कंपनी होने की बात भी सामने आई है।
'पैराडाइज पेपर्स' में बीजेपी के राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा का नाम भी सामने आया है। ऐसे में भाजपा की मुश्किलें बढ़ने वाली है। 8 नवंबर को सरकार नोटबंदी की सालगिरह मनाने जा रही है। विपक्ष इस दिन को 'ब्लैक डे' के रूप में मनाएगी। ऐसे में साफ है कि विपक्ष 'पैराडाइज पेपर्स' भुनाना चाहेगा।
अमिताभ बच्चन का भी नाम : अमिताभ बच्चन का नाम पनामा पेपर्स के बाद पैराडाइज पेपर्स में भी सामने आया है। अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके अमिताभ बच्चन कौन बनेगा करोड़पति के साल 2000-02 में प्रसारित पहली सीरीज के बाद बरमूडा नाम की एक डिजिटल कंपनी के शेयरधाक बने थे।
वर्ष 2004 में भारतीय रिजर्व बैंक के लिबरलाइज्ड रिमिटेंस स्कीम शुरू करने से पहले तक सभी भारतीयों को विदेश में किए गए निवेश की जानकारी आरबीआई को देनी होती थी। यह बात अभी भी साफ है कि इसका जवाब अमिताभ ने दिया था कि नहीं।बरमूडा की कंपनी एप्पलबी के पास मौजूद दस्तावेज के अनुसार अमिताभ बच्चन और सिलिकॉन वैली के वेंचर इन्वेस्टर नवीन चड्ढा जलवा मीडिया लिमिटेड के 19 जून 2002 को शेयरधारक बने थे। ये कंपनी बरमूडा में 20 जुलाई 2002 को बनाई गई थी और साल 2005 में इसे भंग कर दिया गया।
अमेरिका स्थित इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जनर्लिस्ट्स (आईसीआईजे) द्वारा जारी किए गए पैराडाइज दस्तावेज से यह खुलासा हुआ है। इसी संगठन ने पिछले साल पनामा दस्तावेजों का खुलासा किया था जिसने दुनियाभर की राजनीति में तूफान पैदा किया था। बहरहाल, इन खुलासों से ऐसे संकेत नहीं मिले हैं कि रॉस, ब्रान्फमैन या महारानी की निजी कंपनी ने गैरकानूनी रूप से निवेश किया। एलिजाबेथ की निजी कंपनी के मामले में आलोचक यह सवाल उठा सकते हैं कि क्या ब्रिटेन की महारानी द्वारा विदेशी कर पनाहगाहों में निवेश करना उचित है।
करीब 100 समाचार संगठनों द्वारा देखे गए दस्तावेजों के अनुसार अरबपति निवेशक रॉस की नेविगेटर होल्डिंग्स में 31 फीसदी हिस्सेदारी है। इस कंपनी की रूस की ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी कंपनी सिबर से साझेदारी है जिसका आंशिक तौर पर मालिकाना हक पुतिन के दामाद और उनके दोस्त के पास है। बीबीसी और गार्जियन अखबार के अनुसार दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि महारानी की करीब 1 करोड़ 30 लाख डॉलर की निजी धनराशि को केमैन द्वीप और बरमुडा में निवेश किया गया। पैराडाइज दस्तावेजों में कानून कंपनी एप्पलबाय के मुख्यत: 1.34 करोड़ दस्तावेज हैं। इस कंपनी के कार्यालय बरमूडा और अन्य जगहों पर हैं।