फ्रांस के साथ भारत के 59 हजार करोड़ के राफेल सौदे को लेकर भारत में फिर से सियासी बवाल हो सकता है। दरअसल फ्रांस सरकार ने इस सौदे में हुए कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच कराने का फैसला लिया है।
इसके लिए बकायदा एक जज की नियुक्त भी हो गई है।
ये जांच तीन लोगों के आसपास केंद्रित रहेगी। जिसमें पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद जो सौदे पर हस्ताक्षर किए जाने के समय पद पर थे, वर्तमान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन जो उस समय वित्त मंत्री थे और विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन, जो उस समय रक्षा विभाग संभाल रहे थे शामिल हैं।
ये जानकारी एक फ्रांसीसी ऑनलाइन जर्नल मेडियापार्ट ने अपनी रिपोर्ट में दी है। मीडियापार्ट के मुताबिक इस संवेदनशील मामले की जांच 14 जून को ही शुरू हो चुकी है। फ्रांस की लोक अभियोजन सेवाओं की वित्तीय अपराध शाखा अब इस बात की पुष्टि की है।
बता दें कि साल 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की डील की थी। इनमें से एक दर्जन विमान भारत को मिल भी गए हैं और 2022 तक सभी विमान मिल जाएंगी। जब ये डील हुई थी, तब भी भारत में काफी विवाद हुआ था। लोकसभा चुनाव से पहले राफेल लड़ाकू विमान की डील में भ्रष्टाचार के मसले पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था।