रूस भारत का पुराना दोस्त रहा है। भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूती देने के लिए रूस ने एक नया प्रस्ताव रखा है। इसे ट्रंप को बड़ा झटका लग सकता है। एसयू-57 स्टील्थ फाइटर जेट के संयुक्त उत्पादन की पेशकश के बाद रूस की प्रमुख रक्षा कंपनी रोसोबोरोन एक्सपोर्ट ने भारत के साथ मिलकर एडवांस सैन्य उपकरणों के विकास और उत्पादन में सहयोग करने का प्रस्ताव दिया है। यह कदम भारत की मेक इन इंडिया पहल को एक नई दिशा दे सकता है और भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता को और बढ़ा सकता है।
रूस का यह प्रस्ताव भारतीय सेना के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यदि भारत इस ऑफर को स्वीकार करता है तो इससे न केवल आधुनिक टैंकों और बख्तरबंद वाहनों का निर्माण देश में ही होगा बल्कि मौजूदा तोपखाना प्रणाली, मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम और छोटे कैलिबर के हथियारों के गोला-बारूद के उत्पादन में भी सहयोग मिलेगा। रूस और भारत पहले से ही T-90 भीष्म टैंक के निर्माण में साझेदारी कर चुके हैं। आधुनिक T-90MS टैंक को भी भारत में संयुक्त रूप से विकसित करने की संभावना जताई जा रही है। यह टैंक उन्नत सुरक्षा प्रणाली, फायर कंट्रोल सिस्टम और एंटी-ड्रोन तकनीक से लैस होगा। इससे भारतीय सेना को एक आधुनिक युद्धक्षेत्र में बढ़त मिलेगी।
टैरिफ के फैसले से दुनियाभर में खलबली : डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी सरकार ने दुनियाभर के देशों से आयात पर टैरिफ बढ़ाने का फैसला किया तो वैश्विक व्यापार के क्षेत्र में खलबली मच गई। सभी देश ट्रंप प्रशासन के फैसले के असर को कम करने की जुगत में भिड़ गए। बढ़े हुए अमेरिकी टैरिफ का ताप भारत भी महसूस कर रहा है।
इस बीच भारत और रूस के विदेश विभाग के बीच वार्षिक परामर्श कार्यक्रम का समय आ गया है। इसके लिए भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री रूस जा रहे हैं। 7 मार्च को होने वाली मीटिंग में दोनों देशों के रिश्तों की समीक्षा की जाएगी। स्वाभाविक है कि इस समीक्षा बैठक में ट्रंप प्रशासन की तरफ से छेड़े गए 'टैरिफ वॉर' के मद्देनजर मुद्दे उठ सकते हैं। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma