Ukraine- Russia Conflict: विवाद के 3 दशक, इतिहास के वो विवाद जिसकी वजह से 2022 में युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं रूस- यूक्रेन
क्या है Russia-Ukraine Controversy का इतिहास, जानिए 1918 से लेकर 2022 तक
- 3 दशक यानी करीब 30 साल है रूस-यूक्रेन में अदावत
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रूसी क्रांति और क्रिमिया पर कब्जा भी है एक वजह
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पश्चिमी-पूर्वी यूक्रेन में आंतरिक कलह से भी जूझ रहा है यूक्रेन
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2021 में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने नाटो की सदस्यता लेने का ऐलान किया
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ऐलान से रूस नाराज है, रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो से जुड़े
रूस और यूक्रेन आमने-सामने हैं, दोनों देशों की वजह ये दुनिया युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। अमेरिका यूक्रेन के साथ खड़ा है, जबकि भारत ने तटस्थता का रास्ता चुना है।
युद्ध की इस आशंका और तनातनी के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क इलाकों को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देकर बारूद में एक तरह से चिंगारी फेंकने का काम कर दिया है। अब ये समझ लीजिए कि दोनों देश युद्ध की कगार पर हैं।
आखिर क्या ऐसी वजह है कि दोनों देश बैटल ग्राउंड में आकर खडे हो गए हैं। इसके लिए दोनों देशों के विवाद के इतिहास में जाना होगा। युद्ध के इस मुहाने पर पहुंचे दोनों देशों की दुश्मनी कोई आज की नहीं, बल्कि यह करीब 3 दशक पुरानी अदावत है।
यूक्रेन को आजादी में मिली कंट्रोवर्सी
दरअसल 20वीं सदी में यूक्रेन रूस साम्राज्य का हिस्सा था। 1917 में ब्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में रूसी क्रांति हुई थी जिसके बाद 1918 में यूक्रेन ने आजादी की घोषणा कर दी, लेकिन 1921 में लेनिन की सेना से हार के बाद 1922 में यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा बन गया। बाद में 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन आजाद हो गया। लेकिन इसी आजादी में यूक्रेन और रूस के बीच कंट्रोवर्सी भी शुरू हो गई।
करीब 30 साल यानी 3 दशक पहले सोवियत संघ से अलग होने के बाद यूक्रेन को आजादी तो मिल गई, लेकिन अंदरुनी अलगाववाद से यूक्रेन हमेशा जूझता रहा है। पश्चिमी यूक्रेन यूरोप के साथ संबंध और दोस्ती बढ़ाने की कोशिश करता रहा, जबकि पूर्वी यूक्रेन रूस के साथ सांठगांठ करता रहा है।
कैसे शुरू हुआ रूस-यूक्रेन विवाद (Ukraine- Russia Conflict)
2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच थे। इनका झुकाव रूस की तरफ था। इसी वजह से उनके खिलाफ यूक्रेन की सरकार में विद्रोह होने लगा था। रूस ने इस मौके का फायदा उठाया और यूक्रेन में स्थित क्रीमिया आईलैंड पर अपना कब्जा जमा लिया। जबकि यहां मौजूद विद्रोही गुटों ने पूर्वी यूक्रेन के कई हिस्सों में कब्जा कर लिया।
जब रूस ने क्रीमिया को हथिया लिया
यूक्रेन में हुए आंदोलनों की वजह से राष्ट्रपति विक्टर को अपना पद छोड़ना पड़ा, लेकिन तब तक रूस ने क्रीमिया को पूरी तरह से हथिया लिया। इसी घटना के बाद यूक्रेन अपना अस्तित्व बचाने और ताकत बढाने के लिए पश्चिमी यूरोप के साथ अपने रिश्तों अच्छे करने के लिए कोशिश करता रहा है, लेकिन रूस नहीं चाहता है कि यूक्रेन के रिश्ते पश्चिमी यूरोप से बेहतर हों। इसी वजह से यूक्रेन, रूस और पश्चिमी देशों की खींचतान के बीच फंसा हुआ है।
क्यों अहम है यूक्रेन?
1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन को आजादी मिली। यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश माना जाता है। इस देश में बेहद उपजाऊ मैदानी इलाका है, वहीं पूर्व की तरफ कई बड़े उद्योग हैं। यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से का यूरोपीय पड़ोसियों खासकर पोलैंड से गहरा रिश्ता है। यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में राष्ट्रवाद की भावना प्रबल है। हालांकि यूक्रेन में रूसी भाषा बोलने वाले अल्पसंख्यकों की संख्या भी बहुत है।
रूस- यूक्रेन की ताजा कंट्रोवर्सी को ठीक से समझने के लिए इतिहास के इस सिललिलेवार घटनाक्रम पर भी नजर डाली जाना चाहिए।
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20वीं सदी की शुरुआत में यूक्रेन रूस साम्राज्य का हिस्सा था। 1917 में ब्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में हुई रूसी क्रांति के बाद 1918 में यूक्रेन ने आजादी की घोषणा कर दी।
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1921 में लेनिन की सेना से हार के बाद 1922 में यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा बन गया।
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इसके बाद यूक्रेन में रूस से आजादी के लिए संघर्ष और विद्रोह चलता रहा। रूस के खिलाफ हथियारबंद समूहों ने असफल विद्रोह भी हुए।
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1954 में सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने इस विद्रोह को दबाने के लिए क्रीमिया आइलैंड को यूक्रेन को तोहफे में दे दिया था।
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1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन ने अपनी आजादी का ऐलान कर दिया।
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2010 में रूस समर्थित विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने। यानुकोविच ने रूस के साथ करीबी संबंध बनाए और यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन से जुड़ने के फैसले को खारिज कर दिया, जिसका यूक्रेन में कड़ा विरोध हुआ।
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इसकी वजह से 2014 में विक्टर यानुकोविच को पद छोड़ना पड़ा। उसी साल यूक्रेन के राष्ट्रपति बने पेट्रो पोरोशेंको ने यूरोपियन यूनियन के साथ डील साइन कर ली।
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2014 में रूस ने यूक्रेन के शहर क्रीमिया पर हमला करके कब्जा जमा लिया।
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दिसंबर 2021 में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने नाटो (NATO) की सदस्यता लेने का ऐलान किया था। यूक्रेन की इस घोषणा के बाद से ही रूस नाराज है, क्योंकि रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो से जुड़े।
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नाटो का सदस्य ना होने के बावजूद भी यूक्रेन के नाटो संग अच्छे रिश्ते हैंए यही बात रूस को रास नहीं आ रही है।
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अब साल 2022 में रूस और यूक्रेन आमने सामने हैं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क इलाकों को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे दी है। जिससे अब ये विवाद और ज्यादा भड़क गया है।