- यूरोपीय स्पेस एजेंसी का यूक्लिड मिशन
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अदृश्य डार्क मैटर और अबूझ डार्क एनर्जी की गुत्थी सुलझाने में मिलेगी मदद
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अंधेरे ब्रह्मांड की संरचना और विकास का पता लगाएगा यूक्लिड
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यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड के नाम पर है टेलीस्कोप
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10 अरब प्रकाशवर्ष तक की गहराइयों की छानबीन करेगा यूक्लिड
ESA Euclid Mission: ब्रह्मांड में एक ऐसा रहस्यमय अंधेरा और एक ऐसी अबूझ शक्ति व्याप्त है, जिसका उस भौतिकी से कोई लेना-देना नहीं है जिसे हम यहां पृथ्वी पर जानते हैं। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ESA ने इसीलिए 1 जुलाई को 'यूक्लिड' नाम का एक ऐसा टेलिस्कोप अंतरिक्ष में भेजा है, जिससे आशा की जाती है कि वह अदृश्य डार्क मैटर और अबूझ डार्क एनर्जी की गुत्थी सुलझाने में वैज्ञानिकों की सहायता करेगा।
ईएसए का कहना है कि यूक्लिड मिशन अंधेरे ब्रह्मांड की संरचना और विकास का पता लगाने के लिए ही डिज़ाइन किया गया है। मिशन का यूक्लिड टेलिस्कोप ब्रह्मांड के एक तिहाई से अधिक भाग में 10 अरब प्रकाश वर्ष तक की दूरी की अरबों गैलेक्सियों का अवलोकन करके दिक और काल (Space and Time) में ब्रह्मांड की विशद संरचना का एक 3 डी-नक्शा तैयार करेगा। समय यानी टाइम इस नक्शे का तीसरा आयाम होगा।
ब्रह्मांड का विस्तार कैसे हुआ : यूक्लिड यह पता लगाएगा कि ब्रह्मांड का विस्तार कैसे हुआ? ब्रह्मांडीय इतिहास में ग्रहों, तारों और मंदाकिनियों (गैलेक्सियों) जैसी विभिन्न प्रकार संरचनाएं कैसे बनीं? गुरुत्वाकर्षण की भूमिका और डार्क एनर्जी तथा डार्क मैटर की प्रकृति के बारे में वह कुछ ऐसी बातें बता सकेगा, जो फिलहाल अबूझ या अज्ञात हैं।
यूक्लिड टेलिस्कोप को उसका यह नाम, ईसा मसीह के जन्म से 300 वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड की याद में दिया गया है। यूरोप में माना जाता है कि यूक्लिड ही Geometry यानी ज्यामिति के जन्मदाता थे। पदार्थ और ऊर्जा का घनत्व क्योंकि ब्रह्मांड की ज्यामिति से जुड़ा हुआ है, इसलिए मिशन और टेलिस्कोप का नाम उन्हीं के सम्मान में रखा गया है।
10 अरब प्रकाशवर्ष तक की गहराइयों की छानबीन : वैज्ञानिकिों का कहना है कि डार्क एनर्जी ब्रह्मांड के विस्तार की गति को तेज करती है और डार्क मैटर ब्रह्मांडीय संरचनाओं के विकास को नियंत्रित करता है। किंतु वे इस बारे में अनिश्चित हैं कि डार्क एनर्जी और डार्क मैटर वास्तव में है क्या। वैज्ञानिक आशा कर रहे हैं कि यूक्लिड, ब्रह्मांड की 10 अरब प्रकाशवर्ष तक की गहराइयों की जो छानबीन करेगा, उससे पता चल सकेगा कि इन 10 अरब वर्षों में ब्रह्मांड का विस्तार कैसा रहा। क्या बदलाव आए। इन अवलोकनों के आधार पर खगोलविद डार्क एनर्जी, डार्क मैटर और गुरुत्वाकर्षण के गुणों का अनुमान लगा सकेंगे।
दो मुख्य विषय : यूक्लिड मिशन के माध्यम से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी 'ईएसए' का कॉस्मिक विजन कार्यक्रम दो मुख्य विषयों को संबोधित करता है: पहला, ब्रह्मांड के मौलिक भौतिक नियम क्या हैं? और दूसरा, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कैसे हुई और वह किस चीज़ से बना है?
यही कारण है कि यूक्लिड को खगोल विज्ञान के कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है : ब्रह्मांडीय वेब की संरचना और इतिहास क्या है? डार्क मैटर की प्रकृति (nature) क्या है? समय के साथ ब्रह्मांड का विस्तार कैसे बदल गया है? डार्क एनर्जी की प्रकृति क्या है? गुरुत्वाकर्षण के बारे में हमारी समझ पूरी है या अधूरी?
यूक्लिड की बनावट : यूक्लिड अंतरिक्ष यान की लंबाई लगभग 4.7 मीटर और व्यास 3.7 मीटर है। यान के दो प्रमुख घटक हैं: सर्विस मॉड्यूल और पेलोड मॉड्यूल। पेलोड मॉड्यूल में 1.2 मीटर व्यास वाला टेलिस्कोप और दो वैज्ञानिक उपकरण शामिल हैं: एक दृश्य-तरंग दैर्ध्य कैमरा (visible-wavelength camera) और एक निकट-अवरक्त (near-infrared ) कैमरा/स्पेक्ट्रोमीटर। सर्विस मॉड्यूल में उपग्रह प्रणालियां शामिल हैं: बिजली उत्पादन और वितरण, डेटा प्रोसेसिंग इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रणोदन (propulsion), दूरसंचार, टेलीमेट्री और थर्मल नियंत्रण।
यूक्लिड को एक जुलाई वाले दिन अमेरिका में फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से 'स्पेसएक्स' रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया गया। उसकी प्रेक्षण कक्षा पृथ्वी और सूर्य के बीच के तथाकथित 'लग्रांज प्वाइन्ट2' (L2) के पास होगी। पृथ्वी की परिक्रमा कक्षा से परे, औसतन 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर की इस जगह सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां एक बराबर होने से यूक्लिड वहां स्वस्थिर रह सकता है। वहां वह सू्र्य की रोशनी तथा पृथ्वी और चंद्रमा द्वारा परावर्तित प्रकाश से पूरी तरह से अप्रभावित रह कर अगले कम से कम 6 वर्षों तक अंतरिक्ष की गहराइयों में दूर-दूर तक झांक सकता है।
दो मिशन अवधारणाओं का मेल : यूक्लिड दो मिशन अवधारणाओं की देन है। दोनों मिशनों में डार्क एनर्जी की जांच के लिए नई तकनीकें अपनाने का प्रस्ताव रखा गया था। मूल्यांकन अध्ययन के एक चरण के बाद दोनों मिशनों को मिलाकर उन्हें एक संयुक्त मिशन का रूप दिया गया। नाम रखा गया यूक्लिड। ESA की विज्ञान कार्यक्रम समिति ने जून 2012 में यूक्लिड के लिए हरी झंडी दिखाई।
डेढ़ अरब यूरो की लागत वाला यूक्लिड एक पूर्णतः यूरोपीय मिशन है, जिसे नासा के सहयोग से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ESA द्वारा निर्मित और संचालित किया जा रहा है। यूक्लिड कंसोर्टियम ने - जिसमें 13 यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका, कैनडा और जापान के 300 संस्थानों के 2000 से अधिक वैज्ञानिक शामिल हैं - वैज्ञानिक उपकरण और वैज्ञानिक डेटा विश्लेषण प्रदान किए।
छवि-गुणवत्ता चार गुना अधिक : यूक्लिड द्वारा ली गई तस्वीरें हमारी आकाशगंगा के बाहर एक तिहाई से अधिक ब्रहमांडीय आकाश को कवर करेंगी। वे अरबों ब्रह्मांडीय लक्ष्यों को उस दूरी तक चित्रित करेंगी, जहां से प्रकाश को हम तक पहुंचने में 10 अरब वर्ष तक का समय लगा है। यूक्लिड की छवि-गुणवत्ता पृथ्वी पर से हो सकने वाले आकाशीय सर्वेक्षणों की तुलना में कम से कम चार गुना अधिक तेज़ होगी।
इसके अलावा, वह करोड़ों आकाशगंगाओं और तारों की निकट-अवरक्त (near-infrared) स्पेक्ट्रोस्कोपी करेगा। इससे वैज्ञानिकों को कई लक्ष्यों के रासायनिक और गतिकीय गुणों की विस्तार से जांच करने का अवसर मिलेगा। अब तक तो वे यही मानते हैं कि एक-चौथाई ब्रह्मांड अदृश्य डार्क मैटर का बना है। डार्क एनर्जी एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा है, जो गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध जाती है, क्योंकि वह ब्रह्मांड को एक साथ खींचने के बजाय अलग कर रही है।
बिग बैंग हुआ था 14 अरब वर्ष पूर्व : तथ्य यह है कि बिग बैंग 14 अरब साल पहले हुआ था और तब से ब्रह्मांड का निरंतर विस्तार हो रहा है। खगोलविदों ने 1990 वाले दशक के अंत में देखा कि अंतरिक्ष का विस्तार और भी तेजी से हो रहा था। ऐसा क्यों है, इसे आज तक कोई समझ नहीं सका।
दूसरी ओर, ब्रहमांडीय अध्ययन के एक नए मॉडल की सहायता से अमेरिकी वैज्ञानिकों के अभी-अभी प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार, ब्रह्मांड के निरंतर फैलते रहने के बाद अब संभवतः उसके सिकुड़ने का समय शुरू होने जा रहा है। वे इसे 'महासंकुचन' (बिग क्रंच) की तरफ बढ़ना बता रहे हैं।
उनका समझना है कि ब्रह्मांड संभवतः फैलने और सिकुड़ने के एक चक्र के अनुसार समय-समय पर फैलता और सिकुड़ता है। इस समय वह शायद धीरे-धीरे अपने संकुचनकाल की तरफ़ बढ़ रहा है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ESA को आशा है कि यूक्लिड टेलिस्कोप की सहायता से ब्रह्मांड की इन अबूझ गुत्थियों को समझने-सुलझाने में निर्णायक सहायता मिलेगी।
Edited by: Vrijendra Singh