जापान के नारा शहर में पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की शुक्रवार को एक पूर्व नौसैनिक ने गोली मार कर हत्या कर दी। वे 68 वर्ष के थे। जानिए उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य...
शिंजो आबे का जन्म 21 सितम्बर 1954 को जापान के टोक्यो में हुआ था। आबे 26 सितम्बर 2006 को जापान के प्रधानमंत्री बने। वे 2006 से 2007 फिर 2012 से 2020 तक जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख रहे। शिंजो आबे जापान के सबसे ज्यादा लंबे समय तक काम करने वाले प्रधान मंत्री रहे। शिंजो 2012 में विपक्षी दल के नेता भी थे। इसके अलावा वे 2005 से 2006 तक वे चीफ कैबिनेट सचिव भी रहे।
आबे पहली बार 1993 के चुनावों में जीत हासिल करने के बाद जापान के हाउस ऑफ रेप्रेसेंटेटिव्स में गए थे। सितम्बर 2005 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जूनिचिरो कोइज़ुमी की सरकार के अंतर्गत उन्हें चीफ कैबिनेट सचिव नियुक्त किया गया। शिंजो 2006 में LDP के अध्यक्ष बने और इसी साल वे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जन्म लेने वाले जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने।
प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद उन्होंने खराब स्वास्थ के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। शिंजो के दादा नोबोसुके किशी पूर्व में जापान के प्रधानमंत्री थे। शिंजो के पिता शिन्तारो आबे पूर्व में जापान के विदेश मंत्री थे। शिंजो आबे के चाचा इसाकु सैतो जापान के दूसरे सब लंबे समय तक काम करने वाले प्रधानमंत्री रहे।
शिंजो USS वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अमेरिका जाने वाले जापान के पहले प्रधानमंत्री बने। इसके अलावा उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध पर खेद भी जताया था। उन्होंने कहा था कि जापान की आने वाली पीढ़ियां हमेशा द्वितीय विश्व युद्ध के लिए दुनिया से माफी मांगती रहेगी।
वे अंतर्मुखी व्यक्तित्व वाले प्रधानमंत्री रहे। लेकिन, उनके कार्यकाल में जापान की विदेश नीति की दुनियाभर में सराहना हुई। उन्होंने एशिया के साथ अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के देशों से भी जापान के संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की।
शिंजो को तीरंदाजी में रूचि रही और वे मृदुभाषी होने की वजह से जापान के लोगों में लोकप्रिय रहे। प्रधानमंत्री बनने के पहले उन्होंने राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई की और जापान की कोब स्टील फैक्ट्री में 3 वर्षों तक काम किया। शिंजो की पत्नी आकि ने हर मोर्चे पर उनका साथ दिया और विश्व मीडिया के समक्ष शिंजो के व्यक्तिगत जीवन से जुड़े अनसुने तथ्य भी पेश किए। शिंजो आबे और आकि की कोई भी संतान नहीं है।
शिंजो आबे के कार्यकाल के दौरान भारत-जापान के आपसी रिश्ते खूब फले-फूले। पप्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने सबसे ज्यादा बार भारत का दौरा किया। जापान के साथ आर्थिक और प्रोद्योगिक स्तर पर भारत ने कई साझेदारियां की। भारत की मेट्रो ट्रैन को जापानी टेक्नोलॉजी से जोड़ने में शिंजो आबे का बहुत बड़ा योगदान रहा। भारत सरकार द्वारा 2021 में शिंजो आबे को पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया जा चुका है।