थाईलैंड की गुफा में गुम हुए सभी 12 बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है लेकिन इस साहसिक अभियान में 38 साल के पूर्व गोताखोर और नेवीसील सुमन गुनन की मौत हो गई।
दरअसल इस गुफा के घुप अंधेरे में भरे पानी, संकरे, टेढ़े-मेढ़े रास्तों से बच्चों को सुरक्षित वापस लाना, मौत के मुंह से वापस लाने से कम नहीं था। मानसूनी बरसात लगातार मिशन में बाधा डाल रही थी तो कई बच्चों को ठीक से तैरना भी नहीं आता था। लगातार गुफा में बढ़ते पानी से वहां ऑक्सीजन भी कम होती जा रही थी।
इस पूरे रेस्क्यू अभियान में दुनियाभर से लोगों ने अपने स्तर पर मदद की। एलन मस्क ने अपनी रोबोटिक किड सबमरीन भेजी तो अमेरिका, कैनेडा ब्रिटेन और भारत ने भी मदद के हाथ आगे बढ़ाए। लेकिन इस पूरे अभियान में सबसे दुरूह कार्य रहा वहां मौजूद डाइवर्स (गोताखोर), चिकित्सकों और स्वयंसेवियों का जिन्होंने एक पल भी हार नहीं मानी और बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
इस अभियान को सुमन गुनन की बहादुरी के बिना कभी पूरा नहीं किया जा सकता था। सुमन बच्चों के पास पहुंचने वाले पहले डाइवर्स में से थे। उन्होंने न केवल बच्चों को हिम्मत दी बल्कि गुफा में मौजूद कम होती ऑक्सीजन के बारे में मेडिकल टीम को बताया।
सुमन लगभग 13 घंटे की तैराकी के बाद बच्चों तक पहुंचे थे और वहां कम होती ऑक्सीजन के कारण उन्होंने अपनी पीठ पर मौजूद ऑक्सीजन सिलेंडर से काफी ऑक्सीजन गुफा में छोड़ दी।
बच्चों और कोच इसी वजह से बचे रहे लेकिन लापता समूह को ऑक्सीजन की टंकी पहुंचाने के बाद वापस आते वक़्त सुमन गुनन बेहोश हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई। सुमन गुनन थाई नौसेना के पूर्व गोताखोर थे और उन्होंने कुछ साल पहले नौकरी छोड़ दी थी लेकिन बचाव अभियान में शामिल होने के लिए वो लौट आए थे।
सुमन गुनन के बलिदान पर थाईलैंड के राजा ने सुमन गुनन को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की घोषणा की है। सुमन जैसे ढेर सारे हीरोज के अदम्य साहस और हार न मानने के जज्बे की वजह से आज सभी बच्चे और उनका कोच सही-सलामत सूरज की रोशनी देख पाए हैं।