कैलिफोर्निया। अमेरिका में वीडियो शेयरिंग एप्लीकेशन टिक-टॉक पर जारी 'ब्लैकआउट चैलेंज' में भाग लेने के दौरान कथित तौर पर दो बच्चों की मौत हो गई, जिसके बाद टिक-टॉक पर मुकदमा चलाया जा रहा है। माता-पिता ने बच्चों की मौत के लिए टिक-टॉक को आरोपित करते हुए कहा है कि एप्लीकेशन ने चैलेंज के लिए किसी भी प्रकार की चेतावनी जारी नहीं की, जिसके कारण बच्चों की मौत हो गई।
क्या है ब्लैकआउट चैलेंज?
टिक-टोक पर कई महीनों से चलाए जा रहे इस चैलेंज में बेहोश होने तक अपनी सांस रोकनी पड़ती है। किसी भी तरह का ऐज-रेस्ट्रिक्शन ना होने की वजह से बच्चे भी इस चैलेंज में भाग लेते हैं। वे इससे कथित तौर पर अपनी शारीरिक क्षमता का परिक्षण करते हैं और अन्य लोगों को भी इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं।
लॉस एंजेलेस के स्टेट कोर्ट में गुरूवार को दायर की गई याचिका के अनुसार टिक-टॉक ' बार-बार और जान बूझकर' अपनी एप्लीकेशन पर ब्लैकआउट चैलेंज को पुश कर रहा है जिसकी वजह से पिछले साल टेक्सास में रहने वाली 8 साल की बच्ची और विस्कॉन्सिन में रहने वाली एक 9 साल की बच्ची की जान गई।
अमेरिका के सोशल मीडिया विक्टिम्स लॉ सेंटर के एक अधिकारी मैथ्यू बर्गमन ने कहा कि इन दो बच्चियों की मौत के लिए टिक-टॉक को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। यह एप्लीकेशन ऐसे चैलेंजों में लाखों-करोड़ों रुपयों का निवेश कर रही है, जो बच्चों और युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं।
एक ने रस्सी तो दूसरी ने किया कुत्ते के पट्टे का उपयोग:
हालांकि, टिक-टॉक की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई बयान नहीं आया है। कोर्ट के समक्ष दायर की गई याचिका में साफ लिखा गया है कि टिक-टॉक का अल्गोरिथम बार-बार ब्लैकआउट चैलेंज को एप के मैन पेज पर ला रहा है। इसी चैलेंज के चलते पिछले साल दो बच्चियों की दम घुटने से मौत हुई। इनमे से एक ने चैलेंज पूरा करने के लिए रस्सी का उपयोग किया तो दूसरी ने कुत्ते को बांधे जाने वाले पट्टे का।
ऑस्ट्रेलिया, इटली में भी हुए थे हादसे:
याचिका में इटली, ऑस्ट्रेलिया समेत कई अन्य देशों में हुई घटनाओं का जिक्र किया गया है, जहां ब्लैकआउट चैलेंज के चलते बच्चों की जानें गई थीं। मृत बच्चियों के माता-पिता का कहना है कि टिक-टॉक को अपने इस चैलेंज के लिए चेतावनी जारी करना चाहिए था कि यह चैलेंज एडिक्टिव है या इससे बच्चों को खतरा हो सकता है। याचिका में टिक-टॉक से हर्जाने की भी मांग की गई है।
इसके पहले भी आ चुके हैं कई खतरनाक चैलेंज:
इस चैलेंज के अलावा भी टिक-टॉक ऐसे कई चैलेंजेस को बढ़ावा देता है, जो बेहद खतरनाक हैं। कुछ दिनों पहले 'स्कल ब्रेकर चैलेंज' आया था, जिसमें बच्चे सर के बल ऊंचाई से छलांग लगा रहे थे। इसके अलावा एक 'कोरोनावायरस चैलेंज' भी आया था, जिसमें बच्चे पब्लिक प्लेस पर जाकर रैंडम चीजों को कथित तौर पर चाट कर देख रहे थे। एक 'फायर चैलेंज' भी प्रचलित हुआ था, जिसमें वस्तुओं को पेट्रोल आदि ज्वलनशील पदार्थों में डुबोकर जलाया जाता था।
भारत में अभी भी हो रहा टिक-टॉक का इस्तेमाल:
भारत में टिक-टॉक कई महीनों पहले ही बैन किया जा चुका है। लेकिन, युवा फिर भी इसे कहीं ना कहीं से डाउनलोड कर लेते हैं। ऐसी कई पायरेटेड वेबसाइट्स हैं, जिनके इस्तेमाल से सभी बैन किए गए एप्स को आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। इन्ही वेबसाइट्स का इस्तेमाल करके भारत में टिक-टॉक और पबजी जैसे एप्स को डाउनलोड किया जाता रहा है। ऐसी वेबसाइट्स पर सरकार ने अभी तक कोई लगाम नहीं लगाई है।