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ट्रंप ने मोदी को दोस्त बोल कर किया वार, H1B वीजा पर सबसे बड़ा प्रहार

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

वॉशिंगटन , शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (09:59 IST)
Trump H1B Visa : अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोस्त बताते हुए भारत को बड़ा झटका दिया है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने उस आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए जिसमें  H-1B वीजा के लिए 100,000 डॉलर की फीस अनिवार्य कर दी है। अब भारतीयों को इस वीजा के लिए सालाना 88 लाख रुपए चुकाने होंगे। 
 
कहा जा रहा है कि इस फैसले से H-1B वीजा के सहारे अमेरिका जाना अब मुश्किल हो जाएगा। अब केवल शीर्ष योग्य अंतरराष्ट्रीय उम्मीदवार ही इस वीजा के लिए पात्र होंगे। ALSO READ: मोदी को सराहा, भारत को झटका, क्या डबल गेम से अपने जाल में फंसाना चाहते हैं ट्रंप?
 
इस फैसले से भारतीय टेक कंपनियों को बड़ा झटका लगेगा। भारी फीस के कारण भारतीय प्रोफेशनल्स अब नौकरी के लिए अमेरिका नहीं जा पाएंगे।  इस वीजा में भारत की हिस्सेदारी 71 फीसदी रही है। H-1B वीजा का इस्तेमाल इंजीनियरों के साथ ही शिक्षक और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स भी करते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।
 

क्या है H1B वीजा : H1-B (immigrant worker visa) यह एक तरह की तत्काल सेवा है। इस वीज़ा के तहत हर साल 85,000 पेशेवर को वीजा दिया जाता है। एक अनुमान के अनुसार इसका 75 प्रतिशत भारतीय लाभ उठा लेते हैं। अनुमान के अनुसार तीन लाख भारतीय एच 1 बी वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं। ये वीज़ा तीन साल के लिए वैध होते हैं और इन्हें अगले तीन साल के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।

H1B वीजा पर सख्ती क्यों : व्हाइट हाउस के स्टाफ सचिव विल शार्फ ने कहा कि एच1बी गैर-प्रवासी वीजा कार्यक्रम देश की वर्तमान आव्रजन प्रणाली में सबसे अधिक दुरुपयोग की जाने वाली वीजा प्रणालियों में से एक है। उन्होंने कहा कि इससे उन उच्च कुशल कामगारों को अमेरिका में आने की अनुमति दी जाती है जो उन क्षेत्रों में काम करते हैं जहां अमेरिकी काम नहीं करते। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि 100,000 डॉलर का शुल्क यह सुनिश्चित करने के लिए लगाया गया है कि देश में लाए जा रहे लोग वास्तव में अत्यधिक कुशल हों और अमेरिकी कामगारों का स्थान नहीं लें।

क्यों है भारतीयों का दबदबा : अमेरिका उच्च कौशल प्राप्त कर्मियों को अपने यहां काम करने का मौका देने के लिए सालाना 85 हजार एच-1बी वीजा जारी करता है। यह पूरी दुनिया के लिए होता है, लेकिन इसमें भारतीयों का दबदबा है। इसका कारण उनकी कुशलता और अपेक्षाकृत कम वेतन पर काम करना है। आंकड़ों के अनुसार एच-1बी वीजाधारक भारतीय कर्मियों की शुरुआती वेतन 65 से 70 हजार डॉलर सालाना के बीच होती है। वहीं पांच साल का अनुभव रखने वाले कर्मियों को 90 हजार से 1.1 लाख डॉलर तक की राशि मिलती है।
edited by : Nrapendra Gupta 

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