संयुक्त राष्ट्र से सुषमा का पाकिस्तान पर बड़ा 'प्रहार'
, शनिवार, 23 सितम्बर 2017 (22:40 IST)
संयुक्त राष्ट्र। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए आज कहा कि हैवानियत की हदें पार करने वाला देश भारत को इंसानियत और मानवाधिकार का पाठ पढा रहा है। पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए शनिवार को कहा कि पाकिस्तानी नेता इस पर विचार करें कि आज भारत की पहचान आईटी की महाशक्ति की है और पाकिस्तन ‘आतंकवाद का निर्यात करने वाले’ और एक आतंकवादी देश के तौर पर बदनाम क्यों है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें सत्र को संबोधित करते हुए सुषमा ने पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया और कहा कि जो देश विनाश, मौत और निर्दयता का विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है वो आज इस मंच से मानवता का उपदेश देकर पाखंड का चैंपियन बन गया है। वे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी के गुरुवार के संबोधन का हवाला दे रही थीं, जिन्होंने भारत पर मानवाधिकार के उल्लंघन और सरकार प्रायोजित आतंकवाद का आरोप लगाया था।
सुषमा ने सवाल किया कि आज मैं पाकिस्तान के नेताओं से कहना चाहूंगी कि क्या आपने कभी सोचा है कि भारत और पाकिस्तान एकसाथ आजाद हुए लेकिन आज भारत की पहचान दुनिया में आईटी की महाशक्ति क्यों हैं और पाकिस्तान की पहचान आतंकवाद का निर्यात करने वाले देश और एक आतंकवादी देश की क्यों है? भारत ने कल पाकिस्तान पर पलटवार करते हुए उसे ‘टेररिस्तान’ करार दिया था और कहा था कि पाकिस्तान की जमीन से आतंकवाद पैदा हो रहा है और आतंकवाद का निर्यात होता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को लगातार दूसरे साल हिन्दी में संबोधित करते हुए सुषमा ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद का निर्यात किए जाने के बावजूद भारत ने प्रगति की। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के बाद पिछले 70 वर्षों में कई पार्टियों की सरकारें रही हैं और हमने लोकतंत्र को बनाए रखा और प्रगति की। हर सरकार ने भारत के विकास के लिए अपना योगदान दिया।
विदेश मंत्री ने कहा कि हमने वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थान स्थापित किए जिन पर दुनिया को गर्व है, परंतु पाकिस्तान ने दुनिया और अपने लोगों को आतंकवाद के अलावा क्या दिया? उन्होंने कहा कि हमने वैज्ञानिक, विद्वान, डॉक्टर, इंजीनियर पैदा किए और आपने क्या पैदा किया? आपने आतंकवादियों को पैदा किया...आपने आतंकी शिविर बनाए हैं, आपने लश्कर-ए-तैयबा , जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और हक्कानी नेटवर्क पैदा किया है।
सुषमा ने कहा कि पाकिस्तान ने जो पैसा आतंकवाद पर खर्च किया, अगर अपने विकास पर खर्च करता तो आज दुनिया अधिक सुरक्षित और बेहतर होती। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा बनाए गए आतंकवादी समूह सिर्फ भारत को नुकसान नहीं पहुंचा रहे, बल्कि अफगानिस्तान और बांग्लादेश को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
सुषमा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि पाकिस्तान ने ‘राइट टू रिप्लाइ’ मांगा और उसे एक साथ तीन देशों को जवाब देना पड़ा हो। उन्होंने सवाल किया कि ‘क्या यह आपके नापाक मंसूबे को नहीं दिखाता है? प्रधानमंत्री अब्बासी का हवाला देते हुए सुषमा ने कहा कि पाकिस्तानी नेता ने भारत पर आरोप लगाने में बहुत अधिक समय जाया कर दिया।
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की ओर से शांति और मित्रता की बुनियाद पर विदेश नीति तामीर किए जाने के अब्बासी के दावे पर सुषमा ने कहा कि वे नहीं जानतीं कि जिन्ना ने किन सिद्धांतों की पैरवी की थीं, लेकिन इतना जरूर कह सकती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पदभार संभालने के बाद शांति और दोस्ती का हाथ बढ़ाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को यह जवाब देना चाहिए कि आपके देश ने इस प्रस्ताव को क्यों ठुकराया।
सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए बातचीत जल्द शुरू करने का आह्वान
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए टेक्स्ट आधारित वार्ता पर जल्द शुरूआत करने का आह्वान किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उम्मीद व्यक्त की कि विश्व निकाय की अपने शीर्ष इकाई का सुधार एक ‘प्राथमिकता’ होगी। 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का लंबे समय से लंबित सुधारों के लिए आम सहमति से एक वार्ता टेक्स्ट मंजूर करते हुए मुद्दे पर बातचीत के लिए आधार तैयार कर दिया था।
सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा कि सुरक्षा परिषद के सुधार एवं विस्तार पर टेक्स्ट आधारित वार्ता पर प्रयास गत सत्र में शुरू किया गया था। 160 से अधिक देशों ने इस प्रयास के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया था। यदि हम गंभीर हैं, तब कम से कम हम यह कर सकते हैं कि हम एक ऐसा टेक्स्ट तैयार करें जो वार्ता के लिए आधार हो सके।
उन्होंने उम्मीद जताई कि यह संयुक्त राष्ट्र के लिए ‘प्राथमिकता बनेगा।’ उन्होंने कहा कि यदि यह होता है तो यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। उन्होंने कहा कि हमें संयुक्त राष्ट्र के नए महासचिव से बहुत अधिक उम्मीदें हैं। यदि वे (एंटोनिया गुटेरस) शांति एवं सुरक्षा ढांचे में सुधार चाहते हैं, उन्हें शांति स्थापना से जुड़े सुधारों का समाधान करने की जरूरत होगी जिसकी मांग लंबे समय से की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में सुधारों के बिना यह लक्ष्य हासिल नहीं हो सकता। लंबे समय से भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का आह्वान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि ‘हम पूरे विश्व में उथल पुथल और परिवर्तन पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन विश्व के मामलों के समाधान के लिए गठित एक संगठन अपनी ही समस्याओं से घिरा हुआ है। उन्होंने कहा कि 18 सितम्बर को यहां संयुक्त राष्ट्र सुधार पर एक बैठक हुई थी। मैंने उसमें हिस्सा लिया। मैंने परिवर्तन के वास्ते कुछ करने के लिए स्पष्ट इच्छा देखी।
उन्होंने कहा कि मैं आपको यह याद दिलाना चाहती हूं कि 2005 में विश्व सम्मेलन में इस पर आम सहमति थी कि सुरक्षा परिषद का जल्द सुधार संयुक्त राष्ट्र के सुधार के लिए हमारे समग्र प्रयास का एक आवश्यक तत्व है। सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इसी साल अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि को लेकर समझौते पर पहुंचने के लिए नई प्रतिबद्धता दिखाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यद्यपि भारत ने 1996 में भी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि (सीसीआईटी) का प्रस्ताव दिया था लेकिन दो दशक बाद भी संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद की परिभाषा पर सहमत नहीं हो सका है।
उन्होंने कहा कि हम भयानक और यहां तक कि दर्दनाक आतंकवाद के सबसे पुराने पीड़ित हैं। जब हमने इस समस्या के बारे में बोलना शुरू किया तो दुनिया की कई बड़ी शक्तियों ने इसे कानून व्यवस्था का मुद्दा बताकर खारिज कर दिया। अब वे इसे बेहतर तरीके से जानते हैं। सवाल है कि हम इस बारे में क्या करें।
सुषमा ने कहा कि हम सबको आत्ममंथन करना चाहिए और खुद से पूछना चाहिए कि क्या हमारी चर्चा, जो कार्रवाई हम करते हैं कहीं से भी उसके करीब है। हम इस बुराई की निंदा करते हैं और अपने सभी बयानों में इससे लड़ने का संकल्प जताते हैं। सच्चाई यह है कि ये सिर्फ दस्तूर बन गए हैं।
समुद्री सुरक्षा बड़ा सवाल
भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आगाह किया कि समुद्री सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं और परमाणु प्रसार को लेकर फिर से खतरनाक खबरें सामने आ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में लगातार दूसरे साल अपने संबोधन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि समकालीन दुनिया समस्याओं के अंबार में फंसी है जिसमें से निश्चित रूप से सर्वाधिक खतरनाक हिंसा का अत्यधिक बढ़ना है।
सुषमा ने कहा कि आतंकवाद और इस बुराई को आकार देने वाले विचार आग की रफ्तार से फैल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन से हमारा आमना-सामना है और अपने आयाम को लेकर यह हमें डराता है। समुद्री सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ उकसावे वाले और उत्तेजक मिलेजुले कारणों से लोग अपने परंपरागत गृह क्षेत्र की मनोवैज्ञानिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सहूलियत छोड़ रहे हैं और दूसरे देश में शरण मांग रहे हैं जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचैनी का माहौल बनता है। विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया की आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी भूख और गरीबी का शिकार है। युवा उम्मीद खो रहे हैं क्योंकि वे बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाएं, ऐतिहासिक रूप से भेदभाव की शिकार हैं और वे लैंगिक सशक्तीकरण की मांग कर रही हैं। सुषमा ने जाहिर तौर पर उत्तर कोरिया के लगातार उकसावे वाले व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा, परमाणु प्रसार पर फिर से खतरनाक खबरें आ रही हैं। साइबर सुरक्षा गहन असुरक्षा का स्रोत बन गई है। गौरतलब है कि उत्तर कोरिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए मिसाइल परीक्षण और परमाणु परीक्षण कर रहा है।
नए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस का स्वागत करते हुए सुषमा ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र को 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करने तथा मजबूत बनाने को प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हम उनके प्रयासों का स्वागत करते हैं और उनमें ऐसे नेता को देखते हैं जो किसी सोच को व्यावहारिक आकार दे सकता है। सुषमा ने कहा कि दुनिया की जनता के कल्याण, सुरक्षा, सद्भाव, अधिकार और आर्थिक प्रगति के लिए संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई थी। उन्होंने कहा कि भारत इस महान मिशन के प्रयासों में अपना पूरा समर्थन देता है।
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