वाशिंगटन। अमेरिकी अगुवाई में सीरिया में किए गए पश्चिम देशों के हवाई हमलों के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से ऐसे संकेत मिले हैं कि अगर वहां रासायनिक हथियारों का फिर इस्तेमाल किया गया तो ऐसे हमले दोहराए जाएंगे। इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस के उस प्रस्ताव को भारी बहुमत से खारिज कर दिया है जिसमें उसने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा सीरिया पर किए गए हमले की निंदा की बात कही थी।
अमेरिका का कहना है कि सीरिया में सात अप्रैल को राष्ट्रपति बशर अल असद सरकार ने रासायनिक हमलों में क्लोरीन गैस का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया था और इसी के जवाब में ये हमले किए गए हैं। यह भी माना जा रहा है कि उन हमलों में सेरिन गैस का भी इस्तेमाल किया गया था जो काफी घातक है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने एक बयान में कहा कि अभी तक जो भी प्रमाण मिले हैं वे इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि सीरिया सरकार ने बड़े पैमाने पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था।
ट्रंप प्रशासन ने शनिवार को फिर इस बात को दोहराया था कि अगर सीरिया में इस बार रायायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है तो ऐसे हमले फिर दोहराए जाएंगे। अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि वहां सेरिन गैस का इस्तेमाल किया गया था लेकिन सीरिया इससे इनकार करता है।
रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा कि खुफिया रिपोर्टों के आधार पर वह पूरी तरह आश्वस्त हैं कि वहां क्लोरीन गैस का इस्तेमाल हुआ था। उन्होंने सेरिन गैस हमले की आशंका से इनकार नहीं किया है। उप राष्ट्रपति माइक पेंसे ने भी ट्रंप प्रशासन के उस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि वहां कम से कम क्लोरीन गैस का इस्तेमाल तो हुआ ही था।
इस बीच ट्रंप प्रशासन के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सात अप्रैल को सीरिया में सेरिन गैस हमले का आकलन मीडिया रिपोर्टों के आधार पर ही लगाया गया था और खुफिया रिपोर्टों में ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
रूसी प्रस्ताव खारिज : अमेरिकी आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के विशेषज्ञ डेरिल किमबाल ने बताया कि पश्चिम एशिया के हर शहर जहां पानी की सफाई होती है वहां क्लोरीन तो अवश्य मिलाई ही जाती है और यह आम औद्योगिक रसायन है। लेकिन रासायनिक हमलों में क्लोरीन गैस का इस्तेमाल चिंता का विषय है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस के उस प्रस्ताव को भारी बहुमत से खारिज कर दिया है जिसमें उसने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा सीरिया पर किए गए हमले की निंदा की बात कही थी। इसके साथ ही सीरिया के रासायनिक हथियारों के ठिकानों को लक्षित कर किए जा रहे गठबंधन के हवाई हमलों को सुरक्षा परिषद का मत भी मिल गया है।
रूस की तरफ से बुलाई गई इस आपात बैठक में हालांकि इस बात को लेकर निराशा भी व्यक्त की गई कि अंतरराष्ट्रीय संगठन की यह सबसे ताकतवर इकाई पिछले सात सालों से चले आ रहे सीरियाई संघर्ष से निपटने में नाकाम नजर आई है।
सीरियाई सेना का घोउटा पर कब्जा : सीरियाई सेना ने घोषणा की है कि करीब दो महीने चली जबरदस्त कार्रवाई के बाद पूर्वी घोउटा से विद्रोहियों को खदेड़ दिया गया है। सेना के प्रवक्ता ने बताया कि सभी आतंकवादी पूर्वी घोउटा के अपने आखिरी ठिकाने दूमा को छोड़कर चले गए हैं। सीरियाई शासन विद्रोहियों के लिए आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल करता है।