बीजिंग। चीन ने भारत पर चीन से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं के कारण ब्रिक्स देशों के नागरिकों को वीजा छूट की सुविधा देने के एक प्रस्ताव पर रोक लगाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पांचों देशों के व्यवसायियों के लिए वीजा नियमों में राहत देने पर भारत को हर साल 80 अरब डॉलर का फायदा हो सकता है।
'ग्लोबल टाइम्स' अखबार में छपे एक लेख में कहा कि दूसरे ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के नागरिकों के लिए वीजा छूट कार्यक्रम के प्रस्ताव को भारत में बाधाओं का सामना करना पड़ा जिसका कारण खासकर चीन से जुड़ी सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं। अगर भारत चीनियों के लिए वीजा शर्तें कड़ी करेगा तो इससे उसे हर साल आय में अरबों डॉलर का नुकसान होगा।
इसमें कहा गया कि पिछले कुछ हफ्तों में चीन-भारत संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। भारत सरकार का मानना है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता की उसकी दावेदारी को चीन ने बाधित किया जबकि उसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है, जो एनएसजी सदस्यता की पूर्व शर्त है। लेख के अनुसार सुरक्षा संबंधी चिंताएं चीनी लोगों को वीजा देने में भारतीय अधिकारियों की सुस्ती का हमेशा से कारण रही हैं।
इसमें कहा गया कि भारत ने चीनियों के लिए नियमों को ढीला किया है लेकिन इससे द्विपक्षीय आर्थिक, व्यापार एवं पर्यटन आदान-प्रदान से जुड़ी मांगें पूरी नहीं हो सकतीं। भारत ने समय और प्रक्रियाओं में कटौती करते हुए भारत की यात्रा आसान करने के लिए पिछले साल चीनी पर्यटकों को ई-वीजा सुविधा में शामिल किया था।
लेख में कहा गया कि इसकी तुलना में चीनी वीजा के लिए आवेदन करने वाले भारतीयों खासकर पर्यटकों के लिए चीन की नीति कहीं ज्यादा ढीली है। इसमें कहा गया कि भारत का वीजा हासिल करने में चीनी नागरिकों के सामने आने वाली बाधाओं का भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। (भाषा)