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पाकिस्तान के लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से क्यों चिंतित हैं भारत और अमेरिका?

व्हाइट हाउस के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फिनर के पाकिस्तानी मिसाइल कार्यक्रम पर दिए बयान से बढ़ी भारत की चिंता।

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 15 जनवरी 2025 (15:07 IST)
व्हाइट हाउस के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फिनर के इस बयान, 'परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता विकसित कर रहा है जिसकी मार सिर्फ दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं। अमेरिका इसे एक ‘उभरते ख़तरे’ की तरह देख रहा है', ने दक्षिण एशिया में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। इस घटनाक्रम का भारत और पूरे क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा, आइए विश्लेषण करते हैं।
 
पाकिस्तान का मिसाइल कार्यक्रम और भारत के लिए सुरक्षा चिंताएंं : पाकिस्तान का लंबी दूरी का मिसाइल कार्यक्रम भारत के लिए एक सीधा सुरक्षा खतरा है।

मिसाइलों की तुलना: 
पाकिस्तान: पाकिस्तान की सबसे लंबी दूरी की मिसाइल शाहीन-III है, जिसकी अनुमानित रेंज 2,750 किलोमीटर है। यह मिसाइल भारत के सभी हिस्सों तक पहुंचने में सक्षम है। इसके अलावा, पाकिस्तान अबाबील नामक एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM) भी विकसित कर रहा है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें कई स्वतंत्र रूप से लक्षित करने योग्य रीएंट्री व्हीकल (MIRV) क्षमताएं हैं।
 
भारत: भारत के पास अग्नि-V जैसी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसकी रेंज 5,000 किलोमीटर से अधिक है। भारत अग्नि-VI भी विकसित कर रहा है, जिसकी रेंज और भी अधिक होने की संभावना है।
 
सुरक्षा खतरा: भारत भी एक परमाणु शक्ति है और उसके पास भी लंबी दूरी की मिसाइलें हैं, लेकिन पाकिस्तान की बढ़ती क्षमता से क्षेत्र में हथियारों की होड़ और तेज हो सकती है, जिससे अस्थिरता बढ़ सकती है। भारत की 'नो फर्स्ट यूज़' परमाणु नीति के बावजूद, पाकिस्तान की बढ़ती मिसाइल क्षमता भारत को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है।

क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: पाकिस्तान के इस कदम से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव आ सकता है। चीन भी इस क्षेत्र में अपनी सैन्य क्षमताओं का लगातार विस्तार कर रहा है, जिससे भारत पर दबाव बढ़ रहा है। पाकिस्तान की बढ़ती मिसाइल क्षमता इस दबाव को और बढ़ा सकती है।

आतंकवाद का खतरा: भारत का मानना है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है, और लंबी दूरी की मिसाइलों की पहुंच बढ़ने से पाकिस्तान के लिए आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना और आसान हो सकता है।
 
भू-राजनीतिक प्रभाव : पाकिस्तान के इस कदम के गंभीर भू-राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं।
दक्षिण एशिया पर प्रभाव:  भारत-पाकिस्तान संबंध: फिनर के इस अप्रत्याशित खुलासे से पता चलता है कि 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच कभी करीबी रिश्ते कितने बिगड़ गए हैं। इससे यह भी सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान ने अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के लक्ष्यों को व्यापक बना दिया है, जो लंबे समय से भारत का मुकाबला करने के लिए थे।
 
चीन का प्रभाव: चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है और पाकिस्तान के साथ उसके करीबी संबंध हैं। पाकिस्तान के इस कदम से चीन को क्षेत्र में और मजबूत स्थिति मिल सकती है। चीन की 'स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स' रणनीति, जिसके तहत वह हिंद महासागर में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए बंदरगाहों और अन्य बुनियादी ढांचों का निर्माण कर रहा है, भारत के लिए चिंता का विषय है।
 
दक्षिण-पूर्व एशिया में मिसाइल दौड़: पाकिस्तान के इस कदम से इस क्षेत्र में हथियारों की होड़ और तेज हो सकती है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा पैदा हो सकता है।
 
अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों की भूमिका: 
अमेरिका: अमेरिका इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है और भारत के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी है। अमेरिका पाकिस्तान पर अपने मिसाइल कार्यक्रम को सीमित करने के लिए दबाव डाल सकता है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद, अमेरिका इस क्षेत्र में अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है।
रूस: रूस भारत का एक पारंपरिक सहयोगी रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में पाकिस्तान के साथ उसके संबंध भी मजबूत हुए हैं। रूस इस क्षेत्र में एक संतुलित भूमिका निभाना चाहता है।
मध्य पूर्व और यूक्रेन का युद्ध: मध्य पूर्व में अस्थिरता और यूक्रेन में चल रहे युद्ध ने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को और जटिल बना दिया है। इन संघर्षों ने हथियारों की होड़ को बढ़ावा दिया है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को कमजोर किया है।
उत्तर कोरिया का संदर्भ और वैश्विक प्रभाव : उत्तर कोरिया के हालिया मिसाइल परीक्षण, जिनमें अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) भी शामिल हैं, ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंतित कर दिया है। उत्तर कोरिया का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है। उत्तर कोरिया की गतिविधियों ने अन्य देशों को भी अपने मिसाइल कार्यक्रमों को विकसित करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे एशिया में हथियारों की खतरनाक होड़ पैदा हो रही है।

आगे की राह : पाकिस्तान का लंबी दूरी का मिसाइल कार्यक्रम दक्षिण एशिया और उससे परे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक जटिल और गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है। यह न केवल भारत के लिए एक सीधा सुरक्षा खतरा है, बल्कि पूरे क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भी अस्थिर कर सकता है। चीन के बढ़ते प्रभाव, उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के हालिया घटनाक्रमों और मध्य पूर्व और यूक्रेन के युद्धों के संदर्भ में, इस मुद्दे का भू-राजनीतिक महत्व और बढ़ जाता है।
 
इस चुनौती का सामना करने के लिए, भारत को अपनी सैन्य और रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ कूटनीतिक प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाना और पाकिस्तान पर अपने मिसाइल कार्यक्रम को सीमित करने के लिए दबाव बनाना आवश्यक है। इसके साथ ही, भारत को अमेरिका और अन्य सहयोगी देशों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत करना होगा ताकि क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनाए रखी जा सके। इस मुद्दे का कोई आसान समाधान नहीं है, लेकिन निरंतर प्रयासों और कूटनीतिक संवाद के माध्यम से ही इस चुनौती का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है।

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