सिडनी। इस हफ्ते कई लोगों के मन में सवाल उठा होगा कि दुनिया के कुछ सबसे अमीर व्यक्तियों ने टाइटैनिक के मलबे की एक झलक भर पाने के लिए 'टाइटन' नाम की नन्हीं 'प्रयोगात्मक' पनडुब्बी के जरिए ठंडे समुद्र की गहरी तलहटी में उतरने का जोखिम क्यों उठाया?
टाइटैनिक दुनिया का सबसे बड़ा वाष्प आधारित यात्री जहाज था। अप्रैल 1912 में अटलांटिक महासागर में अपनी पहली यात्रा पर रवाना होने के चार दिन बाद यह एक बर्फीली चट्टान से टकराने के कारण डूब गया था। पिछले साल रोड आइलैंड के तट के पास इस जहाज का मलबा पाया गया था।
टाइटैनिक की पहली यात्रा और इसके दर्दनाक अंत की खबरों ने 1912 में खूब सुर्खियां बंटोरी थीं। यह जहाज तभी से कौतूहल का विषय बना हुआ है। इस पर कई गाने और फिल्में बनाई गई हैं, जिनमें जेम्स कैमरून की टाइटैनिक भी शामिल है, जिसके नाम लंबे समय तक वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म होने का रिकॉर्ड दर्ज था।
हाल के वर्षों में न्यूयॉर्क, सेविले और हांगकांग में कई प्रदर्शनियां आयोजित की गई हैं, जो दर्शकों को टाइटैनिक के अवशेषों को देखने और जहाज के पुनर्निर्मित कमरों का जायजा लेने का मौका देती हैं। इन प्रदर्शनियों ने बड़े पैमाने पर दर्शकों को आकर्षित किया है।
भव्यता और प्रवासी
टाइटैनिक हमें क्यों आकर्षित करता है और अमीर इस जहाज के मलबे की महज एक झलक पाने के लिए न सिर्फ अपना पैसा, बल्कि जान भी दांव पर लगाने को क्यों राजी हो जाते हैं? इसकी दो वजहें हैं।
पहली, जहाज की भव्यता। टाइटैनिक का निर्माण करने वाली व्हाइट स्टार लाइन ने इसे समुद्र में उतरने वाले सबसे महंगे और आलीशान जहाज के रूप में प्रचारित किया था। अमीर यात्रियों ने टाइटैनिक के प्रथम श्रेणी के कैबिन में यात्रा करने के लिए 870 ब्रिटिश पाउंड तक का भुगतान किया था।
टाइटैनिक पर आधारित फिल्में और प्रदर्शनियां भी काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि दर्शक जहाज की खूबसूरत साज-सज्जा, उसके अमीर यात्रियों के आकर्षक पहनावे और आलीशान रेस्तरां के शानदार मेन्यू को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कई देशों के शेफ ग्राहकों को समय-समय पर टाइटैनिक पर परोसे गए व्यंजनों की पेशकश करते हैं।
टाइटैनिक पर सैकड़ों गरीब प्रवासी यात्री भी सवार थे। कैमरून की फिल्म में लियोनार्डो डि कैप्रियो द्वारा निभाया गया जैक का किरदार भी एक प्रवासी था। वे अमीर यात्रियों की भीड़ में घुलमिल जाते थे, लेकिन उनके जैसे लजीज पकवानों का लुत्फ नहीं उठा पाते थे। अगर टाइटैनिक पर ऐसे गरीब प्रवासी ही सवार होते, तो यह जहाज संभवतः जल्दी ही यादों के झरोखे से ओझल हो गया होता।
समुद्र की ताकत
दूसरी वजह यह तथ्य है कि टाइटैनिक को उस समय कभी न डूबने वाले जहाज के रूप में प्रचारित किया गया था। इस जहाज को समुद्र के हर सितम से निपटने के लिहाज से तैयार किया गया था। जब यह इंग्लैंड से रवाना हुआ था, तो इसे प्रकृति से ज्यादा ताकतवर बताया गया था। लेकिन आज समुद्र की तलहटी में मौजूद इसका मलबा प्रकृति की असीम शक्ति की याद दिलाता है, जिसके आगे सभी को घुटने टेकने पड़ते हैं।
अब यही दो कारक-भव्यता और समुद्र की ताकत, टाइटन पनडुब्बी के लापता होने की घटना में वैश्विक स्तर पर दिलचस्पी पैदा कर रहे हैं। टाइटैनिक की तरह ही टाइटन भी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है, क्योंकि उस पर बहुत अमीर यात्री सवार हैं, जिनमें से प्रत्येक ने टाइटैनिक के मलबे का दीदार करने के लिए कथित तौर पर ढाई लाख अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया था।
फिर इस पनडुब्बी के लापता होने की गुत्थी के पीछे समुद्र की ताकत को जिम्मेदार माना जा रहा है। चूंकि समुद्र ने संभवत: एक और पनडुब्बी को अपना निवाला बना लिया है, इसलिए यह घटना हमें एक बार फिर मानवीय ज्ञान की सीमाओं और समुद्र की ताकत का एहसास कराती है।
Edited By : Chetan Gour (द कन्वरसेशन)