भारत में जहां पिछले दिनों हिजाब को लेकर दो पक्षों में विवाद शुरू हो गया था, वहीं ईरान में महिलाएं हिजाब से छुटकारा पाना चाहती हैं, हिजाब से मुक्ति के लिए कैंपेन चलाए जा रहे हैं। वहीं कट्टरपंथी हिजाब नहीं पहनने वाली महिलाओं को मार रहे हैं। दरअसल, ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है और जो महिलाएं नियमों का पालन नहीं करती उन्हें टॉर्चर किया जाता है।
ईरान में हाल ही में हिजाब को लेकर कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। दरअसल, ईरान में एक युवती की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। पुलिस ने उसे हिजाब नहीं पहनने के लिए गिरफ्तार किया था। बता दें कि ईरान की कट्टरपंथी सरकार ने महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया है।
क्या है ताजा मामला?
ईरान में जो घटना अभी सामने आई है उसे लेकर पूरी दुनिया और सोशल मीडिया में चर्चा है। इसके लिए सोशल मीडिया पर No2Hijab हैशटैग भी चलाया जा रहा है। दरअसल, घटना 13 सितंबर की है। 22 साल की महसा अमिनी अपने परिवार से मिलने तेहरान आई थी। उसने हिजाब नहीं पहना था। पुलिस ने तुरंत महसा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के 3 दिन बाद पुलिस कस्टडी में ही 16 सितंबर को उसकी मौत हो गई। महसा की मौत के बाद यह मामला प्रकाश में आया।
ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमिनी गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही कोमा में चली गई थी। उसे अस्पताल ले जाया गया। परिवार का कहना है कि महसा को कोई बीमारी नहीं थी। उसकी हेल्थ बिल्कुल ठीक थी। हालांकि उसकी मौत संदिग्ध बताई जा रही है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि महसा के पुलिस स्टेशन पहुंचने और अस्पताल जाने के बीच क्या हुआ यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। ईरान में हो रहे ह्यूमन राइट्स वायलेशन के लिए काम करने वाली चैनल ने कहा कि अमिनी की मौत सिर पर चोट लगने से हुई।
क्या है ईरान में हिजाब का इतिहास?
ईरान एक इस्लामिक कट्टरपंथी देश है, जहां हिजाब पहनना महिलाओं के लिए जरूार है। ईरानी महिलाओं ने मंगलवार को देशभर में एंटी हिजाब कैम्पेन चलाया और बिना हिजाब की वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए। ऐसा करके महिलाओं ने इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के सख्त हिजाब नियमों को तोड़ा। इसके लिए सोशल मीडिया पर No2Hijab हैशटैग भी चलाया गया। जहां तक ईरान में हिजाब के इतिहास की बात है तो वहां वैसे तो हिजाब साल 1979 में ही अनिवार्य किया जा चुका है। लेकिन 15 अगस्त को राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने एक आदेश पर साइन किए और इसे ड्रेस कोड के तौर पर सख्ती से लागू करने को कहा गया।