वनडे या टी-20 में अगर ओस गिरने की संभावना होती है तो कप्तान टॉस जीतकर फील्डिंग करना पसंद करता है , फिर चाहे कितने भी बड़े स्कोर का ही पीछा क्यों न करना पड़े। आईपीएल में भी यही हुआ 3 बार कप्तान ने यह सोच कर टॉस जीतकर फील्डिंग की ताकि ओस की उपस्थिती में आसानी से रनों का पीछा हो जाए लेकिन ऐसा हो न सका।
चेन्नई सुपर किंग्स ने टॉस जीकर राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ फील्डिंग की
संजू सैमसन की विस्फोटक पारी (32 गेंद, 74 रन, 1 चौका, 9 छक्के) के अलावा स्टीव स्मिथ की कप्तानी पारी (69) की बदौलत राजस्थान ने 20 ओवर में 7 विकेट खोकर 216 रन बनाए। जवाब में चेन्नई की टीम 20 ओवर में 6 विकेट खोकर 200 रन ही बना सकी।
फाफ डू प्लेसिस की तूफानी पारी (37 गेंदों पर 72 रन, 1 चौका 7 छक्के) के बावजूद चेन्नई सुपरकिंग्स राजस्थान रॉयल्स के हाथों 16 रनों से मैच गंवा बैठी।
रॉयल चैलंजर्स बैंगलोर ने टॉस जीकर किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ फील्डिंग की
टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करने की चुनौती स्वीकार करने वाली पंजाब ने केएल राहुल के नाबाद शतक (69 गेंद, 14 चौके, 7 छक्के, 132 रन) की बदौलत 3 विकेट पर 206 रन बनाए। जवाब में बेंगलुरु की टीम 17 ओवर में 109 रनों पर ही धराशायी हो गई।
चेन्नई सुपर किंग्स ने टॉस जीकर दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ फील्डिंग की
दिल्ली कैपिटल्स की युवा ब्रिगेड ने अनुभव की खान कही जाने वाली महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स पर 44 रनों से बड़ी जीत दर्ज की। टॉस हारने के बाद दिल्ली ने पृथ्वी शॉ के शानदार अर्धशतक (64) की बदौलत 20 ओवर में 3 विकेट खोकर 175 रन बनाए। जवाब में चेन्नई की टीम 20 ओवर में 7 विकेट खोकर 131 रन ही बना सकी।
जब तक ओस आती है तब तक मैच हाथ से निकल चुका होता है
दुबई और शारजांह में खेले इन मैचों में कप्तान ओस के कारण पहले फील्डिंग का फैसला तो ले लेते हैं लेकिन जब विशाल स्कोर का पीछा करते वक्त विकटों का पतन हो जाता है या फिर रन बेहद कम बनते हैं तो मैदान पर ओस आने के बाद भी बल्लेबाजों को फायदा नहीं पहुंचा पाती है। (वेबदुनिया डेस्क)