कोलकाता नाइट राइडर्स बनाम मुंबई इंडियन्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर बनाम सनराइजर्स हैदराबाद के मैच को देखें तो कई समानताएं मिलेंगी। दोनों ही मैच अंतिम ओवर तक तो गए ही साथ ही दोनों ही मैच टॉस हारने वाले कप्तान की बेहतरीन कप्तानी के लिए जाना जाएगा।
लेकिन इन दोनों ही मैचों में इतनी ज्यादा समानताएं हैं कि ऐसा लगता है कि किसी ने सक्रिप्ट की फोटोकॉपी कर दी हो। पहले बात कर लेते हैं कोलकाता नाइट राइडर्स बनाम मुंबई इंडियन्स के मैच पर।
इस मैच में कोलकाता के कप्तान इयॉन मॉर्गन ने टॉस जीता और गेंदबाजी करने का फैसला किया। मुंबई की पारी 16वें ओवर तक ठीक चल रही थी। लेकिन अंतिम 4 ओवरों में मुंबई ने 37 रनों के भीतर 7 विकेट गंवाए। अँतिम ओवर में आंद्रे रसेल ने 3 विकेट चटकाए।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी कोलकाता नाइट राइडर्स की शुरुआत अच्छी रही और पहला विकेट 72 रन पर गिरा। इसके बाद राहुल चहर ने एक के बाद विकेट लेकर कोलकाता को बैकफुट पर ढकेला। बढ़ते रन रेट के कारण बल्लेबाज दबाव में आते गए और अंत में ट्रैंट बोल्ट के 2 विकटों से मुंबई यह मैच 10 रनों से जीत गया।
ऐसा ही कुछ बैंंगलोर रॉयल चैलेंजर्स और सनराइजर्स हैदराबाद के मुकाबले में देखने को मिला। हैदराबाद के कप्तान डेविड वॉर्नर ने टॉस जीता और गेंदबाजी करने का निर्णय लिया। बैंगलोर की शुरुआत बेहद खराब रही लेकिन कोहली और मैक्सवेल की बल्लेबाजी से टीम 90 पार पहुंची। कोहली के आउट होते साथ ही विकटों का पतझड़ लग गया। मैक्सवेल एक छोर पर टिके रहे और अंतिम ओवरों के प्रहार के कारण बैंगलोर 149 के स्कोर तक पहुंच पाया।
मामूली लक्ष्य का पीछा करने उतरी हैदराबाद की शुरुआत तो खराब रही लेकिन वॉर्नर और मनीष पांडे के बीच 93 रनों की साझेदारी हुई। अर्धशतक लगाने वाले वॉर्नर का विकेट गिरा तो जरूरी रन रेट आंशिक रूप से बढ़ी। लेकिन दूसरे टाइम आउट के बाद 17वें ओवर में हैदराबाद ने 3 विकेट गंवा कर मैच हाथ से गंवा दिया. यह मैच भी अंतिम ओवर तक जैसे तैसे खिचा और बैंगलोर ने इसमें 6 रनों से जीत प्राप्त की।
हैरानी की बात यह है कि दोनों ही मैचों में कुछ ज्यादा ही समानताएं है।
1) दोनों ही टीमों ने टॉस जीतकर गेंदबाजी ही करना जरूरी समझा, सनराइजर्स ने भी जो पहला मैच कोलकाता से हार गई थी।
2) बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीमों को 150-155 के बीच का लक्ष्य मिला।
3) लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम आधे से ज्यादा रन 10 ओवरों में ही मात्र 1 विकेट खोकर बना चुकी थी फिर भी मैच हार गई।
4) बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम के सलामी बल्लेबाज ने अर्धशतक जड़ा और उनके आउट होने के बाद ही बल्लेबाजी क्रम लड़खड़ा गया।
5) दोनों ही मैच में ऐसे दो गेंदबाज निकले जिन्होंने एक ओवर में 3 विकेट लिए, आंद्रे रसेल और शाहबाज अहमद।
यह एक संयोग भी हो सकता है लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों का मानना है कि दाल में कुछ काला है।
दोनों ही मैच में इतनी ज्यादा समानताएँ एक साथ देखने को मिली, साथ ही यह भी सोचने योग्य बात है कि जब आईपीएल में अंतिम ओवरों में इतने सारे रन बन जाते हैं तो रन अ बॉल लक्ष्य टीमें नहीं चेस कर पा रही। वह भी तब जब उन्हें एक अच्छी शुरुआत मिल चुकी है।
अगर चेपॉक पिच की भी बात करें कि पीच धीमी होती जा रही है तो बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम के लिए पहले 10 ओवर में पिच स्वर्ग और आखिरी 10 ओवर में नर्क तो नहीं बन जाएगी। यह सवाल कई फैंस के मन में है। (वेबदुनिया डेस्क)