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गेंद स्टंप्स पर लगी, बत्ती जली, लेकिन बेल्स नहीं गिरी, विकेट नहीं मिलने पर छिड़ी यह नई बहस

चहल के बाद राशिद को किस्मत ने छकाया, गेंद स्टंप्स पर लगी पर नहीं गिरी बेल्स

हमें फॉलो करें गेंद स्टंप्स पर लगी, बत्ती जली, लेकिन बेल्स नहीं गिरी, विकेट नहीं मिलने पर छिड़ी यह नई बहस
, शुक्रवार, 20 मई 2022 (17:29 IST)
गुरुवार को बैंगलोर बनाम गुजरात से हुए मैच में जब राशिद खान ने गुजरात को कप्तान फैफ डु प्लेसिस को आउट कर पहली सफलता दिलाई तो गुजरात ने राहत की सांस ली। हालांकि अगली ही गेंद पर गुजरात बैंगलोर को एक और बड़ झटका दे सकती थी लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था।

राशिद खान की लेग स्पिन को ग्लेन मैक्सवेल पढ़ नहीं पाए और चूक गए। गेंद हल्के से लेग स्टंप को छूते हुए चली गई। विकेटकीपर वेड और राशिद ने उत्साह दिखाना शुरु ही किया था कि बेल्स वहीं रह गई। बेल्स और गेंद के छूने से रोशनी तो हुई बेल्स गिरी नहीं जिससे मैक्सवेल को जीवनदान तो मिला ही सही बाय के 4 रन मुफ्त में मिले।

ऐसी स्थिति दिल्ली कैपटिल्स के ख़िलाफ़ खेले राजस्थान रॉयल्स के पिछले मुक़ाबले में भी आई थी, जब चहल के पहले ओवर की अंतिम गेंद पर डेविड वॉर्नर लेग ब्रेक से गच्चा खा गए थे और गेंद सीधे स्टंप्स से जा टकराई थी। हालांकि गिल्लियां नहीं गिरी और वॉर्नर ने 52 रनों की पारी खेली। जिस वक़्त यह घटनाक्रम हुआ उस वक़्त वॉर्नर 22 रन के निजी स्कोर पर खेल रहे थे। योजना काम कर गई थी, चहल और संजू सैमसन ने जश्न मनाना भी शुरु कर दिया था लेकिन जल्द ही उन्हें मजबूरन अपना जश्न रोकना पड़ा था।

चहल ने पिछले गुरुवार को ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से इस मसले पर चर्चा करते हुए कहा, "चूंकि मेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ था इसलिए मैं भी यह देखकर दंग था कि गेंद के स्टंप्स से टकराने के बावजूद गिल्लियां नहीं गिरी। अग़र मैच के नाज़ुक मोड़ पर ऐसी चीज़ें घटित होती हैं वह भी तब जब वॉर्नर जैसा बल्लेबाज़ सामने हो जो कि ख़ुद ज़्यादा मौक़े नहीं देते। अग़र वह आउट होते तो निश्चित तौर पर मैच का नतीजा कुछ और हो सकता था।"
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क्या कहता है नियम ?

मैच के अधिकारी एलईडी स्टंप्स की तकनीक की तीन तरह की स्थिति में मदद लेते हैं, बोल्ड, रन आउट और स्टंप आउट। मौजूदा नियमों के मुताबिक बल्लेबाज़ को आउट करार देने के लिए गिल्लियों का स्टंप्स से गिरना ज़रूरी है।

हालांकि एलईडी लाइट्स तभी चमकती हैं जब एक या दोनों बेल्स पर दोनों स्पाईगोट्स खांचे से हट जाते हैं, लेकिन वह वापस स्टंप्स पर बैठ भी सकते हैं। पिछले बुधवार को कुछ ऐसा ही हुआ था, बायीं गिल्ली स्टंप्स के खांचे से निकल आई, कुछ पल के लिए बत्ती भी जली थी लेकिन वह वापस बैठ गई थी।

वॉर्नर ने मैच के बाद चुटीले अंदाज़ में कहा था कि क़िस्मत उनके साथ थी। उन्होंने कहा, "आप ट्रेनिंग के दौरान कठिन परिश्रम करते हैं और आप अपनी क़िस्मत ख़ुद बनाते हैं और आज भाग्य मेरे साथ था।" मिचेल मार्श के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, "स्पिनर्स तब शिकायत करते हैं जब गेंद स्पिन नहीं करती और वह तब भी शिकायत करते हैं जब गेंद स्पिन नहीं करती। यह उन चीज़ों में था जहां स्टंप्स ज़मीन में जाम हो गए थे।"

चहल ने कहा था कि वह नियम का सम्मान करते हैं, लेकिन साथ ही वह इसमें बदलाव किए जाने के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा, "हम ऐसा कर सकते हैं क्योंकि मैच के निर्णायक क्षण में या किसी महत्वपूर्ण और फ़ाइनल मुक़ाबले में आपको मैच गंवाने की कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह ज़ाहिर तौर पर गेंदबाज़ी टीम को नुकसान पहुंचाने योग्य है।"
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मांजरेकर ने कहा बेल्स की रोशनी हो आउट का इशारा

लेग स्पिनर युज़वेंद्र चहल पूर्व क्रिकेटर और अब कमेंटेटर बन चुके संजय मांजरेकर की इस दलील से पूरी तरह से सहमति रखते हैं कि अग़र गेंद स्टंप्स से टकराती है और गिल्लियों की बत्ती जलती है लेकिन वह गिरती नहीं हैं तब भी बल्लेबाज़ को आउट दिया जाना चाहिए।

पिछले बुधवार को क्रिकइंफो के टी20 टाइम आउट पर बात करते हुए मांजरेकर ने कहा था कि इन दिनों एलईडी स्टंप का व्यापक रूप से उपयोग किए जाने को देखते हुए बेल्स को "अनावश्यक" बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "यह एक विकेट होता, जो चहल के लायक होता, जिन्होंने शानदार गेंदबाज़ी की थी।यह वार्नर के एक ख़राब शॉट के बावजूद चहल को विकेट नहीं मिला। जब तक यह एक सौंदर्य मूल्य नहीं जोड़ रहा है तो उन्हें बस बेल से छुटकारा पाना चाहिए क्योंकि यह एलईडी तकनीक के साथ पूरी तरह से बेमानी हैं।"

शास्त्री ने कहा नियम में ना हो बदलाव

हालांकि रवि शास्त्री इस मसले पर पारंपरिक सोच के साथ जाते हैं और इस नियम को जस का तस रहे जाने की वक़ालत करते हैं जो कि इसलिए लाया गया था ताकि मैच अधिकारी यह निर्णय कर सकें कि गेंद स्टंप्स से टकराई थी या नहीं। गुरुवार को उन्होंने कहा था , "मान लीजिए मैं एक फ़ॉरवर्ड डिफेंस शॉट खेलता हूं और गेंद लुढ़कती हई बेहद धीमी गति से स्टंप्स से टकरा जाती है और गिल्लियां नहीं गिरती हैं। तो क्या ऐसी स्थिति में आउट करार दिया जाना चाहिए? बहस यहां भी शुरु हो जाएगी।"

शास्त्री ने आगे कहा, "यदि आप गेंदबाज़ के नज़रिए से देख रहे हैं, तो आप कह सकते हैं कि रोशनी चमक गई है, आपको आउट दिया जाना चाहिए। लेकिन अगर यह नियम 100 वर्षों से अधिक समय से अस्तित्व में है, तो रहस्य का एक तत्व है, चाहे वह गिरे या न गिरे, इससे भाग्य का कारक खेल में आ जाता है। मुझे लगता है कि यह बहुत दुर्लभ है कि बेल नहीं गिरेगी, आपके पास इस तरह का एक बार का मामला होगा। अगर आपके पास बेल्स हैं, तो बेल्स गिरनी चाहिए। अगर कल आप कहते हैं कि बेल्स से छुटकारा पाएं, तो लाइट्स से जाएं। यह मूल रूप से बेल्स से छुटकारा पाने का मामला है। लेकिन इसे क्यों बदलें? यह 100 साल से अस्तित्व में है।"
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शास्त्री ने सुनाया मजेदार किस्सा

शास्त्री ने अपने खेल के दिनों से एक उदाहरण का हवाला दिया जब बिना किसी के नोटिस किए बेल्स गिर गई थी। उन्होंने बताया, "मुझे मुंबई में एक मैच याद है जहां मैं वानखेड़े में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ बल्लेबाज़ी कर रहा था और माइकल होल्डिंग गेंदबाज़ी कर रहे थे। मैं 70 या कुछ और पर बल्लेबाज़ी कर रहा था और गेंद जेफ़री ड्यूजॉन के दस्तानों में गई। एक मिनट के बाद , एक अपील थी क्योंकि एक बेल गिर गई थी। किसी ने कुछ नहीं सुना, लेकिन बेल गिर गई थी और मुझे आउट कर दिया गया था। यह सही निर्णय था क्योंकि जब उन्होंने वास्तव में इसे स्लो मोशन में दिखाया, तो यह होल्डिंग की गति थी हो सकता है कि यह स्टंप्स को न छुआ हो, लेकिन जिस गति से गेंद जा रही थी, उसने बेल को हटा दिया। यही क्रिकेट है।"

हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि वह अनिच्छा से मौजूदा नियम में बदलाव के लिए सहमत होंगे। शास्त्री ने कहा, "यदि आप अधिकतर नियम देखते हैं, अगर वह बल्लेबाज़ों के पक्ष में हैं, तो यह एक गेंदबाज़ के रूप में कुछ वापस पाने के लिए है, यह एक बुरा विचार नहीं है।मैं बदलने के लिए चीजों को बदलने के पक्ष में नहीं हूं।"

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