- ईशु शर्मा
5G की इस दुनिया में हमारे हर सवाल का जबाब इंटरनेट पर मौजूद है और आपको बता दें कि एक रिसर्च के अनुसार लगभग 77% लोग अपने सवालों का जबाब ढूंढ़ने के लिए ब्लॉग (blog) पढ़ना पसंद करते हैं। इंटरनेट पर हर विषय से संबंधित वेबसाइट (website) है और उन वेबसाइट पर कई तरह का कंटेंट भी मौजूद है। इस 5G के युग में AI (artificial intelligence) टेक्नोलॉजी भी काफी तेज़ी बढ़ रही है और हाल ही में ChatGPT जैसे कई AI टूल कंटेंट राइटिंग (content writing) के लिए भी प्रचलित हुए हैं और मीडिया में भी ये AI टेक्नोलॉजी काफी चर्चा में रहें। सिर्फ मार्केटिंग ही नहीं बल्कि अन्य सेक्टर वाले लोग भी इस AI टेक्नोलॉजी की मदद से कंटेंट बनाने के लिए काफी उत्सुक हैं। अगर आप भी AI टेक्नोलॉजी की मदद से कंटेंट बनाना चाहते हैं तो पहले आपको AI कंटेंट राइटिंग के कुछ जोखिम से सतर्क रहने की ज़रूरत है।
क्या है AI Content Writing? : AI कंटेंट राइटिंग एक रोबोटिक राइटिंग है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिथ्म (artificial intelligence algorithms) की मदद से AI टूल कंटेंट तैयार करता है। अगर ChatGPT का उदाहरण लिया जाए तो इस आई टूल में नेचुरल लैंग्वेज जनरेशन (natural language generation) का प्रयोग किया जाता है ताकि कंटेंट की भाषा नेचुरल टोन (natural tone) दें और रोबोट की तरह न लगें।
AI Content Writing करने से पहले जान लें ये 7 जोखिम-
1. गलत तथ्य की वजह से आप पर हो सकता है claim:-
अक्सर हम AI कंटेंट राइटिंग करने के लिए आई टूल में अपने प्रश्न डालते हैं जिसे टेक्निकल भाषा में कमांड कहा जाता है। कमांड डालने के बाद AI टूल इंटरनेट पर उस विषय से संबंधित सारे कंटेंट को मिलाकर आपके लिए दिए गए वर्ड लिमिट (word limit) में कंटेंट प्रदान करता है। पर अक्सर आप AI के तथ्य पर विश्वास नहीं कर सकते क्योंकि AI न तो आपके देश की पॉलिसी एवं नियमों को जनता है और AI टूल खुद अपने तथ्यों की 100% सच होने की गारंटी नहीं लेता।
2. आप अपने ब्लॉग की विशेषता खो सकते हैं:-
अगर आप अपनी वेबसाइट या ब्लॉग के लिए AI कंटेंट राइटिंग करते हैं तो आप अपने ब्लॉग की विशेषता खो रहे हैं क्योंकि हर वेबसाइट व ब्लॉग की अपनी एक टोन और भाषा होती है जो आपके ब्लॉग को विशेष बनाती है पर AI कंटेंट राइटिंग नेचुरल लैंग्वेज जनरेशन (natural language generation) के बाद भी पाठकों को रोबोटिक ही लगती है।
3. AI content detector से आ सकता है प्लेगरिज्म:-
ChatGPT-3 जैसे कई AI टूल आपको 100% प्लेगरिज्म फ्री कंटेंट (plagiarism free content) प्रदान करने के दावे करेंगे जो कि कुछ हद सही भी है पर AI कंटेंट राइटिंग की इस लोकप्रियता को देखते हुए इंटरनेट पर कई AI Content Detector भी मौजूद है जो आपको बता सकते हैं कि कितना प्रतिशत कंटेंट AI टूल की मदद से लिखा गया है और कितना प्रतिशत कंटेंट वास्तविक है।
4. आप अपने ब्लॉग की प्रतिष्ठा खो सकते हैं:-
AI कंटेंट राइटिंग की मदद से आप अच्छा और प्रभावशाली कंटेंट तो बना लेंगे पर कहीं न कहीं ये आपके ब्लॉग की प्रतिष्ठा को गिरा सकते हैं क्योंकि जैसे कि हमने बताया की नेचुरल लैंग्वेज जनरेशन (natural language generation) के बाद भी AI कंटेंट राइटिंग पाठकों को रोबोटिक लगती है जिसकी वजह से पाठक इमोशनली आपके कंटेंट से कनेक्ट नहीं कर पाता और वो आपके कंटेंट को ज़्यादा देर पढ़ भी नहीं सकता। इसी वजह से आप अपने ब्लॉग या वेबसाइट की प्रतिष्ठा खो सकते हैं।
5. Google Penalty का हो सकता है जोखिम:-
गूगल ने ये साफ़ कहा है कि वो ऑटोमेटेड कंटेंट (automated content) के सख्त खिलाफ है हालांकि ये नहीं कहा जा सकता कि गूगल AI कंटेंट राइटिंग को डिटेक्ट (detect) करने के लिए कितना सक्षम है और AI द्वारा लिखा गया कंटेंट किस तरह गूगल सर्च इंजन के टॉप रिजल्ट में आ सकता है। पर AI कंटेंट डिटेक्टर की मदद से ये पता लगा आसान है कि कितना कंटेंट AI द्वारा लिखा गया है।
6. AI tool bias content प्रदान कर सकता है:-
AI टूल आपको पक्षपात कंटेंट भी प्रदान कर सकता है क्योंकि AI टूल आपकी कमांड के अनुसार सिर्फ विशेष एरिया में ही सर्च करेगा जिसके कारण आपका कंटेंट पक्षपात भी हो सकता है। आपको बायस कंटेंट से बचने के लिए AI टूल पर विशेष कमांड देने होगी।
7. Original Ideas की कमी:-
Ai टूल की मदद से आप अच्छी भाषा में कंटेंट तो बना सकते हैं पर इसके कारण आपके कंटेंट में ओरिजिनल आईडिया (original idea) की कमी हो सकती है और साथ ही AI कंटेंट किसी देश में चल रहे ट्रेंड एवं इमोशन से संबंधित आईडिया को प्रदान नहीं करता।