कैलिफोर्निया। टेक्नोलॉजी के जितने फायदे हैं, उतने नुक्सान भी हैं। इसी टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा उदाहरण है स्मार्टफोन, जिसे उपयोग करने वाले 'Hacking' के बारे में भी जानते होंगे। हममे से कोई भी ये नहीं कह सकता कि हमारा डेटा पूरी तरह सुरक्षित है। इसी बीच अगर आपसे कोई ये कह दे कि अब स्मार्टफोन के जैसे ही आपके दिमाग को भी हैक किया जा सकता है तो? जानते हैं विस्तार से इस टेक्नोलॉजी के बारे में....
इस तकनीक की जानकारी लीक होते ही दुनियाभर के टेक विशेषज्ञ हैरत में हैं। इसे अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कई सालों की रिसर्च के बाद ढूंढा है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसे इंसानी दिमाग को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। फिलहाल, ये टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट स्टेज में है। अभी के लिए ये कह सकते हैं कि इसके ट्रांसमीटर को एक छोटे डिवाइस में फिट करके इंसानी शरीर में डाला जाएगा और ये तकनीक पूरी तरह वायरलेस होगी।
वैज्ञानिकों ने शुरूआती टेस्टिंग हेतु इस माइंड रीडिंग टेक्नोलॉजी के लिए एक हेडसेट विकसित किया है। ये हेडसेट दिमाग के न्यूरॉन को पढ़ सकेगा। हैरानी की बात तो ये है कि रिसीवर हेडसेट लगाए हुए व्यक्ति के दिमाग को अपने हिसाब से कंट्रोल भी कर सकता है।
इस हेडसेट को बनाया है अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन और डिफेन्स एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी ने, जिन्होंने इसे Magnetic Optical Acoustic Neural Access (MOANA) नाम दिया है। इंसानों से पहले इस टेक्नोलॉजी का ट्रायल मक्खियों पर किया जा रहा है। ट्रायल के पहले चरण में देखा गया कि हेडसेट के एक्टिवट होते ही मक्खी ने पंख फैलाना शुरू कर दिया।
इंसानों पर इसका ट्रायल शुरू करने के लिए रिसर्चरों को अमेरिका की शीर्ष सुरक्षा और मानवाधिकार एजेंसियों से आज्ञा लेनी होगी, जिसमें अभी काफी समय लग सकता है। लेकिन, मक्खियों पर MOANA का सफल प्रयोग अपने आप में एक उपलब्धि है।