Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(शरद पूर्णिमा)
  • तिथि- आश्विन शुक्ल चतुर्दशी
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-शरद पूर्णिमा, कोजागरी व्रत, विश्व खाद्य दि.
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

जयंती विशेष : शरद पूर्णिमा पर जन्मे थे मुनि विद्यासागर जी, जानें उनके बारे में

हमें फॉलो करें Vidyasagar

WD Feature Desk

, बुधवार, 16 अक्टूबर 2024 (11:58 IST)
Vidyasagar ji birth anniversary : आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज एक प्रख्यात दिगंबर जैन आचार्य के नाम से जाने जाते हैं। वे जैन धर्म के तपस्वी, अहिंसा, करुणा, दया के प्रणेता और प्रखर कवि सं‍त शिरोमणि रहे हैं। मुनि विद्यासागर जी का जन्मदिवस शरद पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। जैन कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में मुनि विद्यासागर जी का जन्मदिन 17 अक्टूबर 2024, दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है।
Acharya shri Vidyasagar ji Maharaj: आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज एक प्रख्यात दिगंबर जैन आचार्य के नाम से जाने जाते हैं। वे जैन धर्म के तपस्वी, अहिंसा, करुणा, दया के प्रणेता और प्रखर कवि सं‍त शिरोमणि रहे हैं। मुनि विद्यासागर जी का जन्मदिवस शरद पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। जैन कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में मुनि विद्यासागर जी का जन्मदिन 17 अक्टूबर 2024, दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है।
 
जानिए कौन थे आचार्य विद्यासागर महाराज : आचार्यश्री विद्यासागर जी को दिगंबर सरोवर के राजहंस कहा जाता हैं, क्योंकि उनका मन जल की तरह निर्मल था तथा वे हमेशा प्रसन्न और मुस्कराते रहते थे, वे धर्म प्रभावक तथा सन्मार्ग प्रदर्शक थे, जिन्होंने अपने शिष्यों का संवर्द्धन करने का अभूतपूर्व कार्य किया है। उन्हें मानव जाति का ऐसा प्रकाश पुंज कहा जाता हैं, जो दूसरों को धर्म की प्रेरणा देकर उनके अंधेरे जीवन में उजाला करके उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाने का महान कार्य करते थे। 
 
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म कब हुआ था : प्रतिवर्ष महाराजश्री का जन्मदिन आश्विन शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। तारीख के अनुसार उनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को बेलगांव जिले के गांव चिक्कोड़ी में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ तथा बालक का नाम विद्याधर रखा गया तथा घर का नाम पीलू था। उनके पिता मुनिश्री मल्लिसागर जी तथा माता आर्यिकाश्री समयमति जी बहुत धार्मिक थे। 
 
विद्यासागर जी मात्र 9 वर्ष की उम्र में ही धर्म की ओर आकर्षित हो गए थे और उसी समय उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का संकल्प कर लिया तथा उन दिनों वे आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज के प्रवचन सुनते रहते थे। इसी प्रकार धर्म के रास्ते पर चलते हुए ज्ञान की प्राप्ति करने के साथ ही उन्होंने मात्र 22 वर्ष की उम्र में राजस्थान के अजमेर में आचार्यश्री ज्ञानसागरजी महाराज के शिष्यत्व में 30 जून 1968 को मुनि दीक्षा ग्रहण की थी।
 
आचार्य विद्यासागर क्यों प्रसिद्ध थे : 9वीं कक्षा तक कन्नड़ भाषा में शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी और बंगला भाषाओं में भी ज्ञान अर्जित किया तथा इन्हीं भाषाओं में लेखन का कार्य भी किया हैं। आचार्यश्री हिन्दी, अंग्रेजी आदि 8 भाषाओं के ज्ञाता थे। उनके द्वारा लिखित 'मूकमाटी' महाकाव्य सबसे अधिक चर्चित है। 
 
उन्होंने अपने जीवनकाल में पशु मांस निर्यात के विरोध में जनजागरण अभियान भी चलालया तथा अमरकंटक में 'सर्वोदय तीर्थ' नाम से एक विकलांग नि:शुल्क सहायता केंद्र आज भी चल रहा है। आचार्यश्री ने पशुधन बचाने, गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करने, मांस निर्यात बंद करने को लेकर कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं तथा आज भी कई गौशालाएं, औषधालय, स्वाध्याय शालाएं आदि विद्यासागर जी की प्रेरणा और आशीर्वाद से स्थापित किए गए थे और चल रहे हैं तथा कई जगहों पर निर्माण कार्य जारी भी हैं। 
 
बता दें कि संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज जी ने 3 दिन उपवास और मौन धारण करने के बाद समाधिपूर्वक संलेखना ली थी तथा उन्होंने 18 फरवरी 2024, तदनुसार माघ शुक्ल अष्टमी को देर रात 2.30 मिनट पर छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर अपनी देह त्याग दी थी। समाधि ली थी। दिगंबर जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज जी को सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र की त्रिवेणी भी कहा जाता है। 
 
आचार्यश्री विद्यासागर महाराज जी के जन्मदिन शरद पूर्णिमा पर उन्हें शत-शत नमन्!

ALSO READ: शरद पूर्णिमा पर कब निकलेगा चांद, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Karwa Chauth Vrat: इन 6 महिलाओं को नहीं रखना चाहिए करवा चौथ का व्रत