Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(चतुर्थी तिथि)
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल चतुर्थी
  • शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
  • व्रत/मुहूर्त-विनायकी चतुर्थी, सूर्य षष्ठी व्रतारंभ, छठ व्र.नि.पा. प्रारंभ
  • राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

जिज्ञासाओं को शांत करने का सुअवसर है चातुर्मास

हमें फॉलो करें जिज्ञासाओं को शांत करने का सुअवसर है चातुर्मास
* संदर्भ : चातुर्मास : 2018
- श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र
 
चातुर्मास : जैन धर्म में इसे सामूहिक वर्षायोग तथा चातुर्मास के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि बारिश के मौसम के दौरान अनगिनत कीड़े-मकौड़े और छोटे जीव को इन आंखों से नहीं देखा जा सकता है तथा वर्षा के मौसम के दौरान जीवों की उ‍त्पत्ति भी सर्वाधिक होती है। चलन-हिलन की ज्यादा क्रियाएं इन मासूम जीवों को ज्यादा परेशान करेगी।
 
अन्य प्राणियों को साधुओं के निमित्त से कम हिंसा हो तथा उन जीवों को ज्यादा अभयदान मिले, उसके दृष्टिगोचर कम से कम तो वे 4 महीने के लिए एक गांव या एक ठिकाने में रहने के लिए अर्थात विशेष परिस्थितियों के अलावा एक ही जगह पर रहकर स्वकल्याण के उद्देश्य से ज्यादा से ज्यादा स्वाध्याय, संवर, पौषद, प्रतिक्रमण, तप, प्रवचन तथा जिनवाणी के प्रचार-प्रसार को महत्व देते हैं।
 
यह सर्वविदित ही कि जैन साधुओं का कोई स्थायी ठौर-ठिकाना नहीं होता तथा जनकल्याण की भावना संजोए वे वर्षभर एक स्थल से दूसरे स्थल तक पैदल चल-चलकर श्रावक-श्राविकाओं को अहिंसा, सत्य, ब्रम्हचर्य का विशेष ज्ञान बांटते रहते हैं तथा पूरे चातुर्मास अर्थात 4 महीने तक एक क्षेत्र की मर्यादा में स्थायी रूप से निवासित रहते हुए जैन दर्शन के अनुसार मौन साधना, ध्यान, उपवास, स्व अवलोकन की प्रक्रिया, सामयिक और प्रतिक्रमण की विशेष साधना, धार्मिक उद्बोधन, संस्कार शिविरों से हर शख्स के मन मंदिर में जनकल्याण की भावना जाग्रत करने का सुप्रयास जारी रहता है। तीर्थंकरों और सिद्धपुरुषों की जीवनियों से अवगत कराने की प्रक्रिया इस पूरे वर्षावास के दरमियान निरंतर गतिमान रहती है तथा परिणति सुश्रावकों तथा सुश्राविकाओं के द्वारा अनगिनत उपकार कार्यों के रूप में होती है।
 
एक सबसे महत्वपूर्ण त्योहार पर्युषण पर्व की आराधना भी इसी दौरान होती है। पर्युषण के दिनों में जैनी की गतिविधि विशेष रहती है तथा जो जैनी वर्षभर या पूरे 4 माह तक कतिपय कारणों से जैन दर्शन में ज्यादा समय नहीं प्रदान कर पाते, वे इन पर्युषण के 8 दिनों में अवश्य ही रात्रि भोजन का त्याग, ब्रम्हचर्य, ज्यादा स्वाध्याय, मांगलिक प्रवचनों का लाभ तथा साधु-संतों की सेवा में संलिप्त रहकर जीवन सफल करने की मंगल भावना दर्शाते हैं।
 
चातुर्मास का सही मूल्यांकन श्रावकों और श्राविकाओं द्वारा लिए गए स्थायी संकल्पों एवं व्रत प्रत्याखानों से होता है। यह समय आध्यात्मिक क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाइयों को छूने हेतु प्रेरित करने के लिए है। अध्यात्म जीवन विकास की वह पगडंडी है जिस पर अग्रसर होकर हम अपने आत्मस्वरूप को पहचानने की चेष्टा कर सकते हैं।
साधु-साध्वियों के भरसक सकारात्मक प्रयासों की बदौलत कई युवा धर्म की ओर उन्मुख होकर नया ज्ञान-ध्यान सीखकर स्वयं के साथ दूसरों के कल्याण की सोच हासिल करते हैं। कई सुश्रावक-सुश्राविका पारंगत होकर स्वाध्यायी बनकर जिन क्षेत्रों में साधु-साध्वी विचरण नहीं कर रहे हैं, वहां जाकर स्वाध्याय तथा जनकल्याण की भावना का प्रचार-प्रसार कर अपना जीवन संवार लेते हैं।
 
webdunia

 
सैकड़ों जिज्ञासाओं को शांत करने का सुअवसर है चातुर्मास। स्वधर्मी के कल्याण की अलख जगाता है चातुर्मास। जीवदया की ओर उन्मुख करता है चातुर्मास। तपस्वी तथा आचार्य भगवंतों के पावन दर्शन से लाभान्वित होने का मार्ग है चातुर्मास। साहित्य की पुस्तकों से रूबरू होने का जरिया है चातुर्मास। उपवास से कर्म निर्जरा का सन्मार्ग दिखाता है चातुर्मास। सम्यग् ज्ञान, दर्शन और चरित्र की पाटी पढ़ाता है चातुर्मास। कई धार्मिक व शैक्षणिक शिविरों की जन्मदात्री है चातुर्मास। कई राहत कार्यों के आयोजनों का निर्माता है चातुर्मास। जन से जैन बने, प्रेरणादायी है चातुर्मास।
 

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मंत्रों से संचालित होने वाले ये हैं दिव्यास्त्र, मंत्र साध लिए तो शक्तिशाली बन जाओगे