Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- वैशाख कृष्ण प्रतिपदा
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त- कच्छापवतार, सत्य सांईं महा.दि.
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

पर्यावरण की रक्षा का संदेश देते हैं 24 तीर्थंकरों के ये 24 वृक्ष

हमें फॉलो करें पर्यावरण की रक्षा का संदेश देते हैं 24 तीर्थंकरों के ये 24 वृक्ष
जैन धर्म शास्त्रों में पर्यावरण को लेकर बहुत कुछ लिखा हुआ है। दुनिया के सभी धर्मों की अपेक्षा सबसे ज्यादा जैन धर्म ने प्रकृति के महत्व को समझा है और सभी को उचित सम्मान दिया है।

पर्यावरण संरक्षण में जैन धर्मावलंबियों का बहुत योगदान रहा है। प्रकृति के इसी प्रेम के चलते ही जैन धर्म के प्रमुख 24 तीर्थंकरों से जुड़े हैं 24 ऐसे महत्वपूर्ण वृक्ष जिनका अधिक संख्या में धरती पर होना बहुत जरूरी है। हालांकि वृक्ष किसी धर्मविशेष के नहीं होते लेकिन कौन ज्यादा महत्व देता है वृक्षों को, इससे उसकी प्रकृति के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी का पता चलता है।
 
आइए, जानें जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों और वृक्षों के नाम-
 
* ऋषभदेवजी का वृक्ष वटवृक्ष है।
 
* अजितनाथजी का सर्प पर्ण वृक्ष है।

 
* संभवनाथजी का शाल वृक्ष है।
 
* अभिनंदनजी का देवदार वृक्ष है।
 
* सुमतिनाथजी का प्रियंगु वृक्ष है।
 
* पद्मप्रभुजी का प्रियंगु वृक्ष है।
 
* सुपार्श्वनाथजी का शिरीष वृक्ष है।
 
* चन्द्रप्रभुजी का नाग वृक्ष है।

 
* पुष्पदंतजी का साल वृक्ष है।
 
* शीतलनाथजी का प्लक्ष वृक्ष है।
 
* श्रेयांसनाथजी का तेंदुका वृक्ष है।
 
* वासुपूज्यजी का पाटला वृक्ष है।
 
* विमलनाथजी का जम्बू वृक्ष है।
 
* अनंतनाथजी का पीपल वृक्ष है।

 
* धर्मनाथजी का दधिपर्ण वृक्ष है।
 
* शांतिनाथजी का नंद वृक्ष है।
 
* कुंथुनाथजी का तिलक वृक्ष है।
 
* अरहनाथजी का आम्र वृक्ष है।
 
* मल्लिनाथजी का कुम्पअशोक वृक्ष है।
 
* मुनिसुव्रतनाथजी का चम्पक वृक्ष है।

 
* नमिनाथजी का वकुल वृक्ष है।
 
* नेमिनाथजी का मेषश्रृंग वृक्ष है।
 
* पार्श्वनाथजी का घव वृक्ष है।
 
* महावीरजी का साल वृक्ष है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शनि जयंती पर शनिदेव के नाम पर ये 8 चीजें दान करना न भूलें, जीवन की हर बाधा दूर हो जाएगी