जैन पुराणों के अनुसार तीर्थंकर बनने के लिए पार्श्वनाथ को पूरे नौ जन्म लेने पड़े थे। पूर्व जन्म के संचित पुण्यों और दसवें जन्म के तप के फलत: ही वे 23वें तीर्थंकर बने।
भगवान पार्श्वनाथ के 10 जन्म
* पुराणों के अनुसार पहले जन्म में वे मरुभूमि नामक ब्राह्मण बने।
* दूसरे जन्म में वज्रघोष नामक हाथी बने।
* तीसरे जन्म में स्वर्ग के देवता बने।
* चौथे जन्म में रश्मिवेग नामक राजा बने।
* पांचवें जन्म में देव बने।
* छठे जन्म में वज्रनाभि नामक चक्रवर्ती सम्राट बने।
* सातवें जन्म में देवता बने।
* आठवें जन्म में आनंद नामक राजा बने।
* नौवें जन्म में स्वर्ग के राजा इन्द्र बने।
* दसवें जन्म में तीर्थंकर बने।