Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Friday, 28 February 2025

आज के शुभ मुहूर्त

(प्रतिपदा तिथि)
  • तिथि- फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त- विश्नोई मेला, राष्ट्रीय विज्ञान दि.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia

रोटतीज व्रत का विधान एवं महत्व जानिए

Advertiesment
हमें फॉलो करें रोटतीज व्रत का विधान एवं महत्व जानिए
रोटतीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। जैन धर्म में रोटतीज व्रत का बहुत महत्व है। यह व्रत करने से मानसिक शांति मिलती है। आइए जानें रोटतीज व्रत का महत्व :- 
 
कब और कितने समय करें रोटतीज व्रत 
 
व्रतारंभ तिथि- भाद्रपद शुक्ल तृतीया
व्रतावधि- चौबीस वर्ष, बारह वर्ष या तीन वर्ष
व्रत विधि- उपवास या रस त्यागपूर्वक एकाशन शक्तिनुसार
व्रत पूजा- रोटतीज व्रत पूजा/ चौबीस तीर्थंकर पूजा
व्रत जाप मंत्र- ॐ ह्रीं वृषाभादि-महावीर-पर्यंत-चतुर्विशति-तीर्थंकर असि आ उसा नम: स्वाहा 
उद्यापन विधान- पंचपरमेष्ठी विधान, चौबीसी विधान
व्रत फल- चोरी के परिणाम का अभाव। 
 
व्रत का महत्व - 
 
* रोटतीज व्रत मानसिक शां‍ति के प्रबल निमित्त हैं।
* व्रत मोक्ष महल की सीढ़ी है।
* व्रत मन-वचन-काय की पवित्रता के साक्षात कारण हैं।
* व्रत ही शाश्वत लक्ष्य की कुंजी है।
* व्रत मानव पर्याय के लिए उपहार हैं। 
* परिणाम विशुद्धि व्रताचरण से ही संभव है।
* व्रतों के पूर्ण फल सम्यक् विधि से ही प्राप्त होता है, मात्र उपवास (लंघन) से नहीं।
* व्रतों के बिना मानव जीवन अधूरा है।
* व्रत साधना है, मनौती नहीं।
* व्रतों के प्रति अरुचि/ प्रमाद/ अवमानना का भाव नहीं करना चाहिए। 

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मैनेजमेंट के आयकॉन हैं श्री गणेश