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काउंटिंग से पहले जम्‍मू कश्‍मीर में मनोनीत विधायकों के मुद्दे पर क्यों मचा बवाल?

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सुरेश एस डुग्गर

, शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024 (15:40 IST)
Jammu Kashmir elections : जम्‍मू कश्‍मीर के राजनीतिक इतिहास में पहली बार, पांच मनोनीत विधान सभा सदस्य एक दशक के लंबे अंतराल के बाद नई सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। उप राज्‍यपाल नई विधानसभा गठन से पहले ही उनको मनोनीत करना चाहते हैं जिसका भाजपा को छोड़ सभी राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं। बहरहाल विधानसभा चुनावों की काउंटिंग से पहले ही इस मुद्दे पर राज्य की राजनीति गरमा गई। 
 
जानकारी के लिए कश्मीरी विस्थापितों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर (पीओजेके) के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले इन विधायकों को निर्वाचित प्रतिनिधियों की तरह ही पूर्ण विधायी शक्तियां और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे।

विवरण के अनुसार, 5 में से 2 कश्मीरी विस्थापित सदस्य होंगे जबकि एक पीओजेके विस्थापित समुदाय का प्रतिनिधित्व करेगा। इन समुदायों के प्रतिनिधित्व के मामले में यह एक मील का पत्थर होगा, क्योंकि विधान सभा में उनके शामिल होने की लंबे समय से मांग की जा रही है।
 
इस नई व्यवस्था के साथ, जम्मू-कश्मीर विधान सभा में पांच मनोनीत सदस्यों सहित 95 सदस्य हो जाएंगे, जिससे सरकार बनाने के लिए बहुमत की सीमा 48 सीटों तक बढ़ जाएगी।
उपराज्यपाल गृह मंत्रालय की सलाह के आधार पर इन सदस्यों को नामित करेंगे। यह प्रक्रिया जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन के बाद शुरू हुई है, जिसे 26 जुलाई, 2023 को इन नामांकनों को पेश करने के लिए संशोधित किया गया था।
 
राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि यह प्रणाली पांडिचेरी की विधायी संरचना को दर्शाती है, जहां पहले से ही चार मनोनीत सदस्य मौजूद हैं। हालांकि, विधान परिषद के खात्‍मे के बाद जम्मू और कश्मीर में यह कदम उठाया गया है, और 8 अक्तूबर को मतगणना समाप्त होने के तुरंत बाद मनोनीत विधायकों का चयन किया जाएगा, और सरकार संभवतः 15 अक्टूबर तक बन जाएगी।
 
कश्मीरी प्रवासियों और पीओजेके विस्थापितों को शामिल करने को इन समुदायों के अनूठे मुद्दों को संबोधित करने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस तरह के कदम से यह सुनिश्चित होगा कि 1990 में कश्मीर से भागे विस्थापित कश्मीरी पंडितों की शिकायतें आखिरकार विधानसभा तक पहुंचें।
 
 
संशोधन के साथ, रिपोर्टों के अनुसार, इन नई सीटों के लिए राजनीतिक नेताओं के बीच लॉबिंग तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा के दिग्गज नेताओं और पीओजेके क्षेत्र के प्रमुख नेताओं सहित कई प्रभावशाली हस्तियां नामांकन के लिए जोर लगा रही हैं। 
नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि चुनाव परिणाम घोषित होते ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
 
उन्होंने कहा कि इन मनोनीत विधायकों को निर्वाचित विधायकों की तरह सभी अधिकार प्राप्त होंगे। नई सरकार में उनका समावेश सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। पर इतना जरूर था कि उप राज्‍यपाल की इस कवायद का विरोध भी होने लगा था।

कांग्रेस पार्टी ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा नई सरकार के गठन से पहले उपराज्यपाल से जम्मू कश्मीर विधानसभा में पांच नेताओं के नामांकन को सुरक्षित करने के प्रयास का कड़ा विरोध किया है। पार्टी ने कहा कि ऐसा कदम अलोकतांत्रिक और जनादेश के विपरीत है।
 
पार्टी ने उपराज्यपाल से ऐसी कोई कार्रवाई करने से बचने का आग्रह किया। नामांकन के बारे में मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) ने कहा कि इन पांच सदस्यों को नामित करने का अधिकार नवगठित सरकार के पास होना चाहिए।
 
जेकेपीसीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने कहा कि इस प्रक्रिया को दरकिनार करना लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करेगा और मतदाताओं की इच्छा के साथ विश्वासघात होगा। शर्मा ने कहा कि लोगों ने सरकार बनाने के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए वोट दिया है। चुनाव में बहुमत हासिल करने वाली पार्टी को शासन करने का अवसर मिलना चाहिए।
 
शर्मा के बकौल, कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) के शरणार्थियों, कश्मीरी पंडितों और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए विधानसभा में सीटें आरक्षित करने के विचार का समर्थन करती है, लेकिन उसने चुनावी जनादेश को पलटने के लिए नामांकन प्रावधानों के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि लोगों की पसंद को कमजोर करने के लिए नामांकन का उपयोग करना घोर अन्याय होगा।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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