मीरवायज की ‘नजरबंदी’ पर विवाद, वकील ने सरकार को भेजा कानूनी नोटिस
एक साल में दूसरी बार उप राज्यपाल बोले- वे न बंद, न ही नजरबंद
Jammu News : क्या कोई नेता या व्यक्ति लगातार चार सालों तक अपनी मर्जी और खुशी से अपने आपको घर में कैद रख सकता है। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा हुर्रियत कांफ्रेंस नेता मीरवायज उमर फारूक की नजरबंदी के प्रति दिए गए वक्तव्य के बाद सवाल उठने लगे हैं तथा विवाद और बढ़ गया है।
इस बयान पर बवाल इसलिए मचा है क्योंकि उप राज्यपाल ने एक बार फिर एक समारोह में यह दोहराया है कि मीरवायज उमर फारूक न ही बंद हैं और न ही नजरबंद। उन्होंने कहा कि मीरवायज के घर के बाहर तैनात पुलिसकर्मी उनकी नजरबंदी के लिए नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा की खातिर तैनात किए गए हैं। जबकि ठीक एक साल पहले 19 अगस्त को बीबीसी को दिए गए एक साक्षात्कार में भी उन्होंने यही दावा किया था पर अभी तक मीरवायज नजरबंदी से रिहा ही नहीं हो पाए हैं। ऐसे में अब मीरवायज के वकील ने प्रशासन को एक कानूनी नोटिस भेजा है।
मीरवायज के वकील नजीर अहमद रोंगा ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के बिना रोक-टोक आवाजाही के आश्वासन के बाद भी हुर्रियत नेता को आजादी से कहीं आने-जाने नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि जम्मू कश्मीर पुलिस ने मीरवायज को आजादी से आने-जाने की इजाजत नहीं दी है क्योंकि पुलिस नागरिक प्रशासन का आदेश मानने को राजी नहीं है।
वर्ष 2019 में पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के दिन ही अन्य नेताओं की तरह मीरवायज उमर फारूक को उनके घर पर नजरबंद कर दिया गया था। इस नजरबंदी के दौरान न ही उन्हें घर से बाहर जाने की अनुमति दी गई और न ही किसी को उनसे मिलने दिया गया।
पर सरकार ऐसा नहीं मानती। सरकार कहती है कि वे अपनी मर्जी से घर के भीतर हैं। सरकार का यह बयान हास्यास्पद लगता है। दरअसल कश्मीर में शांति बहाल करने और शांति बनाए रखने की कवायद के तहत ही उमर फारूक को प्रशासन खतरा इसलिए मानते रहे हैं क्योंकि उसे लगता था कि जन समर्थन उनके साथ हैं और वे लोगों की विचारधारा को प्रभावित कर कश्मीर में कानून व व्यवस्था की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।
अब जबकि उप राज्यपाल ने एक बार फिर मीरवायज को न ही बंदी माना है और न नजरबंद तो इसे उनकी रिहाई के तौर पर लेने वाली हुर्रियत का कहना था कि अगर मीरवायज सच में आजाद हैं तो उन्हें इस शुक्रवार को जामा मस्जिद में धार्मिक समारोह में शिरकत की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि मीरवायज एक धार्मिक नेता हैं।
जम्मू कश्मीर प्रशासन कहता था कि मीरवायज कहीं भी आने जाने के लिए स्वतंत्र हैं और वह हिरासत में नहीं हैं, लेकिन 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से उन्हें श्रीनगर की जामा मस्जिद में नमाज का अदा करने की अनुमति नहीं दी गई है।
ऐसे में मीरवायज के वकील नजीर अहमद रोंगा ने जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता को भेजे गए कानूनी नोटिस में कहा है कि इस कानूनी नोटिस के जरिए मेरे मुवक्किल मीरवायज उमर फारूक के नगीन स्थित घर के बाहर सुरक्षा बलों की टुकड़ी की तैनाती करके उनकी आवाजाही पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का अनुरोध किया जाता है। मेरे मुवक्किल को अवैध और अनधिकृत हिरासत में रखा गया है। अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन और स्वतंत्रता को कम कर दिया गया है।
Edited by : Nrapendra Gupta