भगवान श्रीकृष्ण संबंधी मंत्र तो बहुत हैं, लेकिन कुछ खास मंत्रों का ही प्रचलन और महत्व है। यहां प्रस्तुत हैं जन्माष्टमी पर कृष्ण के सरल एवं पौराणिक मंत्र।
सभी मंत्र को जपने से पूर्व एक बार 'ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम।' मंत्र का उच्चारण अवश्य करें।
(1) पहले मंत्र के लिए पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। स्नान पश्चात्य कुश के आसन पर बैठकर सुबह और शाम संध्या वंदन के समय उक्त मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र जीवन में किसी भी प्रकार के संकट को पास फटकने नहीं देगा।
पहला मंत्र - 'ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।'
(2) दूसरा मंत्र संकटकाल में दोहराया जाता है। जब कभी भी व्यक्ति को आकस्मिक संकट का सामना करना पड़ता है तो तुरंत ही पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ उक्त मंत्र का जाप कर संकट से मुक्ति पाई जा सकती है।
दूसरा मंत्र - 'ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।'
(3) तीसरा मंत्र निरंतर दोहराते रहना चाहिए। उक्त मंत्र को चलते-फिरते, उठते-बैठते और कहीं भी किसी भी क्षण में दोहराते रहने से कृष्ण से जुड़ाव रहता है। इस तरह से कृष्ण का निरंतर ध्यान करने से व्यक्ति कृष्ण धारा से जुड़कर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग पुष्ट कर लेता है।
तीसरा मंत्र - 'हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे।'
कृष्ण मंत्रों का महत्व : अत: उक्त मंत्र के महत्व को समझते हुए अन्य की ओर जो अपना मन नहीं लगाता वह कृष्ण की शरण में होता है और जो कृष्ण की शरण में है उसे किसी भी प्रकार से रोग और शोक सता नहीं सकते।