इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शुभ पर्व 14 से लेकर 16 अगस्त तक मनाया जा रहा है। अधिकांश विद्वान 14 अगस्त को उचित तिथि मान रहे हैं। इस दिन शाम 7.40 से अष्टमी तिथि लग जाएगी जो अगले दिन 15 अगस्त की आधी रात तक रहेगी। लेकिन रोहिणी नक्षत्र 16 अगस्त को आ रहा है इसलिए रामानुज संप्रदाय 16 को पर्व मनाने जा रहा है। यहां प्रस्तुत है व्रत धारण करने और पूजन करने के 7 सरल नियम....
* जन्माष्टमी के दिन अपने पापों के शमन व अभीष्ट कामना सिद्धि का संकल्प लेकर व्रत धारण करना चाहिए।
* इस दिन प्रातःकाल तिल को जल में मिला कर स्नान करने का शास्त्रों में उल्लेख किया गया है।
* स्नान के बाद शुभ्र वस्त्र धारण कर भगवान कृष्ण का ध्यान कर षोडशोपचार अर्थात शास्त्रों में उल्लेखित 16 विधियों से भगवान का पूजन-अर्चन करना श्रेयस्कर होता है।
* इस दिन निराहार व्रत कर कृष्ण के नाम का जप करना चाहिए।
रात्रि में भगवान के जन्म के समय शंख, घंटा, मृदंग व अन्य वाद्य बजाकर भगवान का जन्मोत्सव मनाना चाहिए।
* जन्म के बाद उन्हें धनिया-शकर की पंजीरी, मक्खन व खीर का भोग लगाना चाहिए।
* व्रत के दूसरे दिन व्रत का पारण कर मंदिरों में ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र, रजत, स्वर्ण व मुद्रा दान करना चाहिए।