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krishna janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर कैसे करें भगवान कृष्ण का ध्यान, जानें पूजा विधि एवं मंत्र

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WD Feature Desk

, बुधवार, 21 अगस्त 2024 (15:44 IST)
Highlights 
 
कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व कब मनाया जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि जानें।
जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र जानें।

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2024 krishna janmashtami : इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव 26 अगस्त 2024, दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। उन्हें मुरलीधर, कान्हा, श्री कृष्णा, गोपाल, घनश्याम, गोपी मनोहर, श्याम, गोविंद, मुरारी, बालमुकुंद आदि कई नामों से जाना और पुकारा जाता है। यह त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है और इस खास अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है।
 
धार्मिक मान्यता के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की रात्रि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जी की पूजा और उनके मंत्रों का जाप किया जाता है। 
 
आइए यहां इस लेख में जानें कैसे करें जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण का ध्यान, पूजन की विधि और सरल कृष्ण मंत्र के बारे में खास जानकारी...
पूजा की विधि : krishna janmashtami Worship 
 
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर मंदिर को साफ-स्वच्छ करे लें। 
- अब चौकी या पटिया लेकर उस पर लाल कपड़ा बिछा लीजिए। 
- भगवान् कृष्ण की मूर्ति चौकी पर एक पात्र में रखिए। 
- अब दीपक जलाएं और साथ ही धूप बत्ती भी जला लीजिए। 
- भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें कि, 'हे भगवान् कृष्ण! कृपया पधारिए और पूजा ग्रहण कीजिए। 
- श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराएं।  
- फिर गंगाजल से स्नान कराएं।  
- अब श्री कृष्ण को वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार कीजिए।  
- भगवान कृष्ण को दीप दिखाएं।  
- इसके बाद धूप दिखाएं। 
- अष्टगंध, चंदन या रोली का तिलक लगाएं और साथ ही अक्षत (चावल) भी तिलक पर लगाएं।  
- माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पण कीजिए और तुलसी का पत्ता विशेष रूप से अर्पण कीजिए। 
- साथ ही पीने के लिए गंगा जल रखें।
  
अब इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण का ध्यान कीजिए : Kaise karne shri krishna ka dhyan
- श्री कृष्ण बच्चे के रूप में पीपल के पत्ते पर लेटे हैं। 
- उनके शरीर में अनंत ब्रह्मांड हैं और वे अंगूठा चूस रहे हैं। 
- इसके साथ ही श्री कृष्ण के नाम का अर्थ सहित बार बार चिंतन कीजिए। 
- कृष् का अर्थ है आकर्षित करना और ण का अर्थ है परमानंद या पूर्ण मोक्ष।  
- इस प्रकार कृष्ण का अर्थ है, वह जो परमानंद या पूर्ण मोक्ष की ओर आकर्षित करता है, वही कृष्ण है। 
- मैं उन श्री कृष्ण को प्रणाम करता/करती हूं। वे मुझे अपने चरणों में अनन्य भक्ति प्रदान करें। 
- विसर्जन के लिए हाथ में फूल और अक्षत लेकर चौकी पर छोड़ें और कहें- 
हे भगवान् कृष्ण! पूजा में पधारने के लिए धन्यवाद। 
- कृपया मेरी पूजा और जप ग्रहण कीजिए 
और पुनः अपने दिव्य धाम को पधारिए।
 
कृष्ण मंत्र :  janmashtami krishna Mantra
- 'कृं कृष्णाय नमः'
- 'गोकुल नाथाय नमः' 
- 'गोवल्लभाय स्वाहा'
- 'ॐ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा'
- 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री'।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


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