इस बार हनुमान जयंती 27 अप्रैल मंगलवार के दिन है। मान्यता है कि हनुमान जी कलयुग में भी इस पृथ्वी पर विचरण करते हैं।
बजरंगबली के जन्मोत्सव को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। इस अवसर पर देश के प्रमुख मंदिरों में विशेष रूप से भगवान हनुमान की पूजा होती है। हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार है। संकटमोचक हनुमान जी त्रेतायुग में भगवान राम के साथ लंका की लड़ाई में उनका साथ दिया था। इसके अलावा महाभारत के युद्ध में भी अर्जुन के रथ पर हमेशा साथ बैठे हुए थे। माता अंजनी और पवनपुत्र वीर हनुमान जी के बारे में आइए जानते है कुछ खास बातें.....
दो तिथियों पर हनुमान जयंती की मान्यता
शास्त्रों के अनुसार साल में दो तिथियों पर हनुमान जी जन्म दिवस मनाए जाने की परंपरा है। चैत्र महीने की पूर्णिमा और कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि पर हनुमान जयंती मनाई जाती है। इसमें से एक तिथि पर भगवान हनुमान का जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है तो दूसरी तिथि पर विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
हनुमानजी जन्म कथा
हनुमान जी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित है इन्हीं में एक कथा के अनुसार एक बार राजा दशरथ पुत्र की प्राप्ति की कामना के साथ पुत्रेष्टि हवन कर रहे थे। हवन की प्रक्रिया के बाद कुलगुरु ने राजा दशरथ की तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खीर दिया। जिसे तीनों रानियों में आपस में वितरित कर दी गई। तभी कहीं से एक कौआ आया और खीर का हिस्सा अपने साथ लेकर उड गया। जंगल में एक जगह अंजनी मां तपस्या में लीन थी। तपस्या के बाद उस खीर को माता अंजनी ने भगवान शिवजी का प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लिया। मान्यता है कि इसी प्रसाद की वजह से भगवान हनुमान का जन्म हुआ।
हनुमानजी के जन्म स्थान को लेकर मान्यताएं
शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार भगवान हनुमान के जन्म स्थान को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।
झारखंड के आंजन गांव में हनुमान जी जन्म स्थान
कई लोगों की मान्यता है कि बजरंगबली का जन्म झारखंड के गुमला जिले के एक गांव आंजन में एक गुफा के अंदर हुआ था।
कर्नाटक के मतंग पर्वत में जन्म स्थान
मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म मतंग ऋषि के आश्रम में हुआ था। यह आश्रम कर्नाटक में स्थिति है। कहा जाता है यहीं पर पहली बार हनुमानजी और भगवान राम की मुलाकात हुई थी।
कैथल में जन्मे हनुमान जी
कुछ मान्यताओं के अनुसार हरियाणा का कैथल को भगवान हनुमान की जन्म स्थान माना जाता है।