शास्त्रों में उल्लेख है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार की अर्द्घ रात्रि में देवी अंजनि के उदर से हनुमान जन्मे थे। देश के कई स्थानों में इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में भक्ति भाव से मनाया जाता है।
इस दिन वाल्मीकि रामायण व सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ कर चूरमा, केला व अमरूद आदि फलों का प्रसाद वितरित किया जाता है। शास्त्रों में हनुमान की राम के प्रति अगाध श्रद्घा व भक्ति को बताया गया है।
ऐसी ही एक कथा में यह प्रमाणित भी होता है। भगवान श्रीराम लंका पर विजय कर अयोध्या लौटे। जब हनुमान को अयोध्या से बिदाई दी गई तब माता सीता ने उन्हें बहुमूल्य रत्नों से युक्त माला भेंट में दी, पर हनुमान संतुष्ट नहीं हुए व बोले माता इसमें राम-नाम अंकित नहीं है। तब माता सीता ने अपने ललाट का सौभाग्य द्रव्य सिंदूर प्रदान कर कहा कि इससे बड़ी कोई वस्तु उनके पास नहीं है।
हनुमान को सिंदूर देने के साथ ही माता सीता ने उन्हें अजर-अमर रहने का वरदान भी दिया। यही कारण है कि हनुमान जी को तेल व सिंदूर अति प्रिय है।