पवनपुत्र हनुमान के बारे में कहा जाता है कि वो अमर हैं। वो सदैव धरती की राक्षसों से रक्षा करेंगे। हिन्दू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ रामायण में भी इसका जिक्र मिलता है।
हनुमान जी की जन्मतिथि इस साल 16 अप्रैल को मनाई जा रही है। भक्तों के कष्ट हरने वाले संकट मोचन मारुति नंदन हनुमान की महिमा निराली है। अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न हो कर भगवान उनसे सारे कष्ट दूर कर देते हैं। हनुमान जयंति पर लोग बड़ी आस्था के साथ भगवान हनुमान की पूजा करते हैं। साथ ही अपने घरों में अखण्ड पाठ का भी आयोजन करते हैं। पवनपुत्र हनुमान के बारे में कहा जाता है कि वो अमर हैं। वो सदैव धरती की राक्षसों से रक्षा करेंगे। हिन्दू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ रामायण में भी इसका जिक्र मिलता है।
कहा ये भी जाता है कि महाभारत की लड़ाई से ठीक पहले हनुमान जी पांडवों से मिलने भी आए थे। मगर सैकड़ो साल बाद आज डिजिटल जमाने में भी क्या हनुमान जी वाकई में जिंदा हैं? दरअसल इस बात पर हमेशा ही बहस छिड़ती आई है कि क्या आज के समय में भी हनुमान जी जिंदा है। कहने को तो भगवान सभी के दिलों में वास करते हैं मगर त्रेतायुग के श्री हनुमान आज भी जिंदा हैं इसके कुछ प्रमाण जरूर मिलते हैं मगर वैज्ञानिक दृष्टी से अभी भी इस पर मुहर नहीं लगी है।
शिव के 11वें रूद्र अवतार थे हनुमान हनुमान को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। ये शिव भगवान के 11वें रूद्र अवतार थे। भोलेनाथ से जुड़े कई ग्रंथों में इस बात का प्रमाण मिलता है कि त्रिकालदर्शी होने के चलते हनुमान जानते थे कि भगवान राम के जीव में आगे किस तरह की परेशानियां आने वाली हैं। पृ्थ्वी का कल्याण करने के लिए उन्हें प्रभु राम की आवश्यकता होगी। इसके अलावा यह भी उल्लेख मिलता है कि शिव ये जानते थे कि कलयुग में जब राम धरती पर ना होंगे तो किसी ऐसे प्रभु की आवश्यकता होगी जो श्रीराम की कृपा से उनका कल्याण कर सके। इसी वजह से भगवान हनुमान को शिव के सर्वश्रेष्ठ अवतार की संज्ञा दी गई है।
क्या साल 2055 में फिर देंगे दर्शन
साल 2014 में सोशल मीडिया पर फिर एक बार ये खबर आई थी हनुमान जी अभी भी मौजूद हैं और उन्होंने श्रीलंका के जंगलों में उनकी मौजूदगी का संकेत है। इंडिया टुडे पर छपी एक खबर के अनुसार न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक श्रीलंका के जंगलों में कुछ कबीलाई लोगों ने इस बात का दावा किया था कि उन्होंने हनुमान जी से मुलाकात की है।
अखबार में इन जनजातियों पर अध्ययन करने वाले आध्यात्मिक संगठन सेतु के हवाले से ये खुलासा किया गया था। जिसमें बताया गया था कि इस जनजाति के लोगों से हनुमान जी मिलने आते हैं। इसके बाद 2055 में फिर आएंगे। इस जनजाति के लोगों को मातंग नाम दिया गया है। इनकी तादाद काफी कम है ये श्रीलंका के अन्य कबीलों से काफी अलग हैं।
हनुमान के पैरों के निशान शिमला के जाकू मंदिर में हैं हनुमान के पैरों के निशान मिलते हैं। दरअसल जब हनुमान, लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोण पर्वत पर जा रहे थे तब हनुमान ने यहाँ रुककर जाकू ऋषि से कुछ सूचना एकत्र की थी। लौटते हुए इनसे मिलने का वचन दिया था पर विलम्ब न हो जाए, इस डर से वह किसी अन्य छोटे मार्ग से चले गए। बाद में हनुमान जाकर जाकू से मिले।
तब जिस स्थान पर हनुमान खड़े हुए थे, इनके जाने के बाद वहाँ इनकी प्रतिमा अवतरित हो गई। साथ ही यहां पर उनके पैरों के निशान भी मौजूद हैं। माता सीता ने दिया था अमरता का वरदान वाल्मीकि रामायण की मानें तो हनुमान जी माता सीता की खोज करते हुए लंका पहुंचे। उन्होंने भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया तो वह बहुत प्रसन्न हुईं। इसके बाद माता सीता ने हनुमानजी को अपनी अंगूठी दी और अमर होने का वरदान दे दिया।