-राजेश पाटिल, बेंगलुरु से
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। अन्य मुद्दों के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस चुनाव में भाजपा का प्रमुख चेहरा होंगे। मोदी यहां पर रैलियां भी कर चुके हैं, जबकि गृहमंत्री अमित शाह कर्नाटक में लगातार सक्रिय बने हुए हैं। कांग्रेस की ओर से पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के लिए भी यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। पार्टी अध्यक्ष के नाते तो यह चुनाव उनके लिए अहम है ही। राज्य में कांग्रेस की हार-जीत उनके राजनीतिक कद पर भी निश्चित ही असर डालेगी।
हालांकि राज्य में भी कई स्थानीय चेहरे भी हैं जो इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। चाहे फिर वे पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा हों या फिर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया। आइए जानते हैं उन्हीं 5 प्रमुख चेहरों के बारे में जो इस चुनाव में अहम भूमिका में नजर आएंगे...
1. बीएस येदियुरप्पा : कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा यानी बीएस येदियुरप्पा चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं। हालांकि दक्षिण राज्यों से भाजपा के पहले ऐसे नेता हैं जो मुख्यमंत्री बने। 27 फरवरी 1943 को राज्य के मांड्या ज़िले के बूकनाकेरे गांव में जन्मे येदियुरप्पा राज्य के शक्तिशाली वीर शैव लिंगायत समुदाय से आते हैं। इस समुदाय के बीच उनका अच्छा प्रभाव भी है। उनकी ताकत का पता इस बात से ही चलता है कि भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद भाजपा ने उन्हें फ्रंटलाइन में रखा है। येदि की सीट शिकारपुरा से अब उनके बेटे विजयेन्द्र चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हालांकि येदियुरप्पा लंबे समय से भाजपा से खुश नहीं है। उनकी नाराजगी पार्टी को नुकसान भी पहुंचा सकती है।
2. बसवराज बोम्मई : भाजपा का दूसरा बड़ा चेहरा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई हैं। वे भी वीर शैव लिंगायत समुदाय से ही आते हैं। मुख्यमंत्री पद के लिए येदि ने ही बोम्मई का नाम आगे बढ़ाया था, लेकिन बाद में दोनों के संबंधों में खटास आ गई। दोनों के बीच मतभेद साफ नजर आते हैं। इनके बीच की गुटबाजी भाजपा को विधानसभा चुनाव में नुकसान भी पहुंचा सकती है। हालांकि बोम्मई के पक्ष में एक अच्छी बात सामने आई है। कन्नड़ सुपर स्टार किच्चा सुदीप ने उनके पक्ष में चुनाव प्रचार का ऐलान किया है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।
3. डीके शिवकुमार : डीके शिवकुमार इस समय कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और मुख्यमंत्री पद के भी तगड़े दावेदार भी हैं। डीके लिंगायत के बाद सबसे महत्वपूर्ण समुदाय वोक्कालिगा से आते हैं। वे मात्र 27 साल की उम्र में 1985 में पहली बार सथनूर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक बने थे। पार्टी में आपसी समन्वय के साथ ही वोक्कालिगा समुदाय के वोट हासिल करना भी उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। शिवकुमार की गिनती कर्नाटक के सबसे अमीर राजनेताओं में होती है। उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में 840 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की थी।
4. वाय. सिद्धारमैया : आजादी के ठीक पहले 3 अगस्त 1947 को जन्मे यतीन्द्र सिद्धारमैया की गिनती कांग्रेस के सीनियर नेताओं में होती है। वे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री होने के साथ एक बार फिर इस शीर्ष पद के दावेदार हैं। कर्नाटक के तीसरे महत्वपूर्ण समुदाय कुरबा से आने वाले सिद्दू चुनाव से पहले 'इमोशनल दांव' भी चल चुके हैं। उन्होंने कहा है कि यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा। डीके शिवकुमार से उनकी प्रतिद्वंद्विता भी किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में डीके और सिद्धारमैया के बीच की खींचतान कांग्रेस के लिए मुश्किल का सबब बन सकती है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि सिद्दू कोलार एवं वरुणा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन पार्टी उन्हें दो सीटों पर नहीं उतारना चाहती। उन्हें वरुणा से ही चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है।
5. एचडी कुमारस्वामी : कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जदएस के नेता एचडी कुमारस्वामी की भूमिका इस चुनाव में कम महत्वपूर्ण नहीं होगी। वोक्कालिगा समुदाय में पैठ रखने वाले स्वामी की पार्टी 2018 में 18 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। उस समय उसे 37 सीटें मिली थीं। स्वामी मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार हैं। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में उनका रोल महत्वपूर्ण हो सकता है।
इनके अलावा चीतापुर से विधायक प्रियांक खरगे (मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे), सीटी रवि, जेसी मादुस्वामी, बी. सुरेश यादव की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहेगी। गृह राज्य होने के नाते मल्लिकार्जुन खरगे के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न है, वहीं भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह की भी अग्निपरीक्षा होगी।