karnataka election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव (karnataka election) में कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल करती हुई दिख रही है। विधानसभा चुनाव के अब तक आए रुझान इस बात के स्पष्ट संकेत है कि राज्य में कांग्रेस मैजिक नंबर हासिल कर बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। कर्नाटक का इतिहास रहा है कि 1985 से कोई भी पार्टी सत्ता में लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाई है और इस बार चुनाव के परिणाम भी इस पर अपनी मुहर लगा रहे है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की एक बड़ी संजीवनी के तरह है। कर्नाटक का किला कांग्रेस ने ऐसे समय फतह किया है जब 2024 के लोकसभा चुनाव का सियासी शंखनाद हो चुका है। ऐसे में अब कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस पूरे दमखम के साथ लोकसभा चुनाव के साथ इस साल के अंत में होने वाले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उतरेगी और पार्टी जीत के ट्रैक पर वापस आने की कोशिश करेगी।
भारतीय राजनीति में 2014 के लोकसभा चुनाव से नरेंद्र मोदी के युग के आंरभ होने के साथ कांग्रेस बीते दस सालों रसातल में जाती रही है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के मनोबल को पूरी तरह तोड़ दिया था। पिछले दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अब तक का अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया और उसे केवल 44 सीटें हासिल हुई, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 52 सीटों पर सिमट गई।
पिछले 10 सालों में एक-एक कर कांग्रेस पार्टी कई राज्यों से भी सत्ता से बाहर हो गई है। हलांकि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को जीत तो हासिल हुई लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस को इसका कोई खास फायदा नहीं हो सका। पिछले 10 सालों में जहां कांग्रेस चुनाव दर चुनाव हारती गई वहीं पार्टी के कई बड़े नेता पार्टी का साथ एक-एक कर छोड़कर जाते रहे। कांग्रेस छोड़ने वाले बड़े नेताओं ने न केवल पार्टी के अंदरूनी लोकतंत्र पर सवाल उठाए बल्कि सीधे गांधी परिवार और खासतौर पर राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती दी और सीधे राहुल गांधी को कांग्रेस की दशा और दिशा के लिए जिम्मेदार ठहराया।
ऐसे में अब कर्नाटक की जीत ऐसे समय कांग्रेस के खाते में आई है, जब इस साल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने है और ठीक एक साल बाद लोकसभा चुनाव होने है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में है और मध्यप्रदेश में वह भाजपा को सीधा चुनौती दे रही है ऐसे में इन चारों राज्यों के चुनाव अगले साल होने लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे है और इन राज्यों के परिणाम ही दोनों ही सियासी दलों के लिए वह नींव तैयार करेंगे जिस पर लोकसभा चुनाव में जीत की इमारत तैयार हो सके।
ऐसे में अब जब इन तीनों राज्यों में चुनावी रणभेरी बज चुकी है और तीनों ही राज्यों में भाजपा और कांग्रेस की बीच कांटे का मुकाबला होता दिख रहा है तब कर्नाटक की जीत इन तीनों राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए एक ऐसी संजीवनी है,जिसके सहारे पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले इन तीनों राज्यों में जीत का डंका बजाकर 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरने के लिए अपनी पूरी ताक झोंक देगी।
2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने जिस भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी की ब्रांडिंग की थी उसमें अब कर्नाटक की जीत को कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से जोड़ेगी। भारत जोड़ो यात्रा को 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी के खिलाफ राहुल गांधी के एक चेहरे के रूप में स्थापित करने के तौर पर भी देखा गया। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अक्रामक नजर आए। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत जोड़ो यात्रा के बहाने कांग्रेस ने पहली बार देशव्यापी इतना बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया और वह 2024 के लिए मोदी के सामने एक सशक्त प्रतिंदद्धी के रूप में स्थापित करने के तौर पर देखा गया और अब कर्नाटक की जीत इस पर एक मोहर है।